अपराधिनी | Aparadhini

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Aparadhini by यज्ञदत्त शर्मा - Yagyadat Shrma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२9 डाक्टर साहब लाये थे मालकिन वह खाना खाने के बाद आ्राये थे । नौकर ने उत्तर दिया । तो वह डाक्टर साहब ही थे । उसने तुरन्त इयाम करें कोन किया । विमला को जो कुछ भी पता लगा था उसने सब उससे कह दिया । श्याम के उत्तर देने से पु पुर्ण मोन था । विमला ने पुछा मुफ्त क्या करना चाहिए ? मैं इस समय एक बहुत झ्रावश्यक कार्य में व्यस्त हूँ । इस समय तुमसे बातें नहीं कर सकूगा । मेरा मत है कि तुम एकदम निर्श्चित रहो । मानो कुछ नहीं हुआ । विमला ने रिसीवर रख दिया । वह समझ गई कि श्याम इस समय शभ्रकेला नहीं है । दयाम की इस व्यस्तता से विमला का जो भर ्राया । उसका दिल भारी हो गया । विमला बंठ गई । अपना मँह हथेली में छिपाकर सारी स्थिति प्र विचार करने लगी । सम्भव है डावटर रमेश ने सोचा हो कि वह उस समय सो रही थी । यदि द्वार म्रत्दर से बन्द था तो इसका यह झथ तो नहीं कि उसने कोई गलत कोर्य किया । फिर सोचा कि कहीं उस समय वह और श्याम बातें तो नहीं कर रहे थे । नीचे इयाम की टोपी भी तो रखी हुई थी । श्याम ने य्पनी टोपी नीचे छोड़कर कितनी बड़ी ना- समभी की ? परन्तु इसमें इयाम का भी क्या दोष ? यह बिलकुल साधारण बात थी । हो सकता है डाक्टर रमेश ने वह टोपी देखी ही न छ्ो। सम्भव है डाक्टर जल्दी में रहे हों श्रौर इस नोट के साथ यह किताब यहाँ छोड़ गये हों । शायद इसी आर से अपने किसी काम पर जा रहे हों। यदि उन्हें कमरे में श्रामा था. तो पहले उन्हें दरवाजा खड़खड़ावा था । यदि उन्होंने यह सोचा कि मैं सो रही हूँ तो उन्होंने खिड़की की चटखनी क्यों खोली ? उन्होंने अपनी श्रादत के विरुद्ध




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