संक्षिप्त हिन्दी - नवरत्न | Sankshipt Hindi Navaratn
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
222
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्रीदुलारेलाल भार्गव - Shridularelal Bhargav
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका ११
भूषण ने जातीयता का संदेश दिया भर उसे कहा भी अच्छा है ।
्ापकी जञातीयता में भारतीयता का भाव कम झाता है, दिंदूपन
का विशेष | फिर भी यह कहना पढ़ेगा कि उस समय दिंदूपन का ही
संदेश पुक प्रकार से भारतीयता का संदेश था, क्योंकि सुसक्मान
्रचिकतर विदेशों थे । केशवदापस के कथन अच्छे हैं, श्रौीर उनकी
रचना में भक्रि का संदेश माना गया है, किंतु हमारी समक में वह
पुष्ट नहीं होता । रामचंद्रिका में भक्ति गोथ रूप से है । उसमें कथा-
प्रसंग तथा वर्णनोत्कष की मुख्यता है, न कि भक्ति की । विज्ञान-गी ता
में परमोच्च विचार कम हैं । उसमें चलतू अथवा काम-काजू घम
का गया है । रसिकप्रिया श्र गार-प्रधान ग्रंथ है, और कविप्रिया
ब्ाचार्यत्व-पूर्ण । इनके शेष अथ साधारण हैं । कु मिलाकर
केशवदास का श्राचायत्व एवं सादित्योन्नति का संदेश कड़ा जा
सकता है, श्रौर कोई नहीं । कबीरदास का संदेश ऐक्य का है । उनके
मतानुसार इश्वर एक, 'घर्म एक, मनुष्य की प्रतिष्ठा एक, सत्य एक शोर
सभो संसार पक है । सभी बातों में डनकी झद्ढत टष्टि हे । दिंदू
झौर मुसक्त मानी घ्म को वह एक मानते, सब मनुष्यों की प्रतिष्ठा को
समान समकते श्रौर सभी प्रकार से दाचिएय-पूण उपदेश देते हैं ।
शनका संदेश परमोच्च दै, किंतु कथन उत्कृष्ट होने पर भी वेसे नहीं
हैं । विचारों की अपेक्षा उनकी भाषा कुछ लची हुई है । मतिराम
का संदेश सादित्योन्नति है, झोर उनकी भाषा बहुत कल्ित है ।
चंदूबरदाड़ ने कथा अच्छी कही है, और उनके वणन भी टीक हैं ।
भारतेंदु का संदेश जातीयता हे; श्रौर वह परम सफल्ता-पूवक
व्यक्ष हुआ है ।
उत्कृष्ट कवियों के कथन में हिंदी का इतिहास भी कह देना विषय
पर झच्छा प्रकाश डालेगा'। हिंदी की जननी संस्कृत हे. या प्राकृत,
इस विषय में मतमेद शेष नहीं हे; झब पंडितों के बहुमत का सुकाव
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