पत्रकार - कला | Patrakar - Kala

Patrakar - Kala by विष्णुदत्त शुक्ल - Vishnudutt Shukla

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पथम संस्करणका निवेदन नाव कफुल्टननलम्मन्यद धत्रकार बनने की प्रग्नति हिन्दी संसारमें बढ़ रही है। इस बढ़ती हुई प्रति के अनुरूप साहित्य की आवश्यकता है । “पत्रकार-कला” द्वारा कुछ अंदोमिं इसी आवश्यकता की पूतिं करने की चेष्टा की गयौ है। इस व्यवसाय की ओर आकृष्ट होनेवाठे सजन प्रारम्भिक ज्ञान प्राप्त कर सकें जिससे उनका नवीन जीवन- पथ कुछ साफ हो जाय, यही इस पुस्तकका उद्देश्य है। इसमें यह प्रयन्न किया गया है कि पाठकोंके सामने पत्रकार-कला सम्बन्धी सेद्धान्तिक और व्यावहारिक- दोनों प्रकार की अधिक-से-अधिक बातें पहुंच जांय। इस प्रयलमें कहां तक मफ़लता मिली है इसका विवेचन करनेका अधिकार मुझे नहीं है । अस्तु । इस पुरतकके लिखनेमें सहायक ग्रन्थों और पत्रोंके अतिरिक्त, जिनका उत्लेख अन्यत्र मिलेगा, सबसे अधिक और बहुमूत्य सहायता मुझे श्रद्ध य गणेशशञ्ुरजी विद्यार्थी द्वारा प्राप्त हुई है । प्रस्तुत पुस्तक उन्हीं की प्रेरणा और शिक्षाका फल है। गणेशजीके अतिरिक्त “विशालभारत” सम्पादक़ श्री बनारसीदासजी चतुर्वेदी तथा “कर्मबीर' सम्पादक श्री- माखनलालजी चतुर्वेदी ने भी अपने सत्परामर्श और प्रोत्साइन द्वारा सहायता प्रदान की है। में अपने इन आदरणीय सद्दायकोंके प्रति हादि क कृतज्ञता प्रकट करता हू । विष्णुदत्त शुक्त




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