अभिमन्यु की आत्महत्या | Abhimanyu Ki Aatmhatya

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : अभिमन्यु की आत्महत्या  - Abhimanyu Ki Aatmhatya

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about राजेन्द्र यादव - Rajendra Yadav

Add Infomation AboutRajendra Yadav

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
उस दिन काम महीं कर सकता ।*. उन्होंने पाजामा 'चढ़ाकर अपनी सुजी-सूजी पिंडलियाँ दिखाई | सुबनेश जो बहता था; से पूरी नाटकीय मुद्राओं के साथ कहता था। दर्शरों के चेटरों पर कमी करुणा ले आता; कमी ईसी । इस सारे दाग्दाइम्बर के पीछे छिपी भायना को मैं जामता था | ऐनटर को म्रमावशाली मापणकर्ता होना ही चाहिए, यह उसका पेशा है 1 सत्र उसें नेता का रोल भदा करना है हो नेताओं की मापा चोलनी चादिये । मैंने नहीँ भुफनश के अभिनय की प्रशसा की वहीं लोगों की वैवद्रफी पर तरस मी आता रहा कि ये लोग इतनी-सी घात नहीं समभ पादि | तमी सदसा एक ऐसी जात हो गई कि दर्शकों थी श्रद्धा भुवसेदा पर व्लोगुनी बढ़ गई। लेफिन मेरा मन घथिरक्ति से मर उठा 1 घारीदार गाजामा और पैली-सी वमीज पहने पिखरे बारटोवात्य एक पंजायी आदमी लोगों के सेक्ते-रोकते भी भी चीरकर सोधा डेडी के पास तक आ पहुँचा ।. पछे-पीछे शर मी दो आदमी लपये आये | शायद इनसे ही छुठपर वह यहाँ तक आया था ।. मुकके इन पीछेवाठे छोगों को पदचामने में कोई दिश्ऋत नहीं हुई। इनमें से कछ एड मदारी चना था ।. यद पनायी सुवनेस के कदमों पर गिरने को ही था कि उसने उसे कन्पों से थाम लिया---नपियदर, बोल तो घुछ मुंह से । ऐसा पागल पर्पों दो रहा है ह स्पा करूँ तेरे लिए. १” दिचियों में रीनें के बीच साक सुरुइते हुए थरिमा ऊपर देररे घद घोला---'मुफे बचा को मेरे सालिय, मैं अपना सय चुछ पंजाब में सो आया हूँ। जगम धन है; बेटा है । चार दिन से मुंइ में अन्न था दाना नहीं गया हे... परत है? मुपगेश पोला--ि, ये भी बोई रोनें दो गए यार १ रिंजाबी आइमी है, उइ, जोर सीना सान के सदा हो-.-भीस क्यों साँगता है, सपना इक सॉँग ।. न, दुछ गे से | खपरदार, भीख ऐक्टर ओर अदृश्य आँखें कर १७




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now