मध्यकालीन हिन्दी काव्य की तांत्रिक पृष्ठभूमि | Madhya Kalin Hindi Kavya Ki Tantrik Prishthabhumi

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Madhya Kalin Hindi Kavya Ki Tantrik Prishthabhumi  by विश्वम्भरनाथ उपाध्याय - Vishwambharnath Upadhyay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १२ ) ऐसीं बाराएँ प्रागंतरिहासिक काल से मध्यकाल तक एक अविच्छिन्त श्य'खला के रूप में दिखायी पड़तीं हैं और कालक्रमानुसार लुकती छिपतीं, माग॑ बदलतीं और जल' के गुण में परिवर्तन लातीं हुईं, मध्यकालीन काव्य-प्रवाह में अपनी विशिष्टता की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए हमें प्रेरित कंरती हैं अत: यह भी आवश्यक हो जाता है कि दयाक्तमत, शैवमत, पांचराश्रमत और तांत्रिक बौद्मत के आदिम रुप को भी हम स्मरण रखें तभी हम इस प्रबल धारा का ऐतिहासिक योगदान निदिचित कर सकते हैं और इस धारा की सहायता से भारतीय समाज के विकास को भी हम समझ सकते हैं । जिस प्रकार किसी एक कवि की कविता के अनुशीलन के लिए ' उसकी मानसिक-स्थितियों अदवा उसके अवचेतन की छान-बीन आवश्यक होती है, उसी प्रकार युग-विश्षेष का भी एक अपना अवचेतन होता है| मेरा निवेदन यह है कि मध्यकारीन हिन्दी-काव्य में प्रतिविस्बित सासुहिक अवचेतन' के समझने के लिए जहाँ अन्य मतों और साधनाओं को विस्तार पूर्वक समझना आवश्यक हैं, वहीं दस काब के लिए आगम या तंत्र-धारा को समझना भी आवश्यक है । इसलिए इस पुस्तक के लिए में किसी क्षमा-याचना की भावश्यकता नहीं समझता । ट शेवमत, शाक्तमत, पांचरात्रपत और तांत्रिक बौद्धमत अनार, अवेदिक, आगम, ग्राह्मणवादविरोधी, वाममार्गी, आदि नामों से अभिहित किया गया है । यह भरा उक्त सम्प्रदायों के रूप में संगठित होने के पुर्व॑ किस रूप' में प्रचलित थी, उस तथ्य पर प्रकाश डालना आवश्यक प्रतीत -होता है। इससे प्राचीन और मध्य- कालीन युग श्यृ'खलित और सम्बद्ध रूप में प्रतीत होने लगेगा । पारचात्य इतिहासकार और पुरातत्त्ववेत्ता बहुमत से वेदिक आयों के भारत . आगमन को १४५०० ई० पुर्व में मानते हैं भर्थात्‌ यह अंतिम सीमा है. । आर्यों 7 आगमन वाराओं में माना जाता है! कुछ कबीले २००० ई०. पूर्व में भी आ गए होंगे, शायद और भी पहले आयों के कुछ दल आए हों लेकिन १४५०० ई० पुर्वे के बाद में आब॑ आगमन मानने पर भाषा और साहित्य के विकास को नहीं समझाया जा सकता । ं इयर कुछ विद्वानों ने आयं-आगमन की कथा को सवथा अप्रमाणित और कल्पित सिद्ध किया है । क्योंकि भाषाओं के अध्ययन के आधार पर यह भी सिद्ध . हीं सकता है कि आये भारत से पश्चिमी एशिया अथवा मध्य एशिया गए ! अतः




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