किशन गढ़ राज्य और महाराजा सुमेर सिंह | Kishan Garh Rajay Aur Maharajaa Sumer Singh

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Book Image : किशन गढ़ राज्य और महाराजा सुमेर सिंह  - Kishan Garh Rajay Aur Maharajaa Sumer Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अुसलमाना में अधिकतर पठान हैं । काड़ी, शेख, सैयद भी अनेक स्थाना पर कम समस्या में बसते रहे हैं । 'पहिनावा -- पुस्प सिर पर साफा या पगडी चाँघने थे । शरीर पर अगरखी, कुर्ता, व घाती पहनते थे । स्त्रिया लहगा ओरनो, दुर्ती, काचली और साड़ी व एलाउज भी पहनती थी । अधिकतर चाँदी के गहनों का प्रचलन था, कितु घनवान व्यक्ति साने के गहने पहनत थे। राजप्रता की स्त्रियाँ हाथी दाँत के चूडे भी पहनती थी । यूजर व जाटा वी. स्निया सामायत लाख व पीतल के चूडे पहनती थी । सूजरिया के परो मु पीतल वी नेवरिया पहनी जाती थी | भापा -- व्शिनगट राय की भाषा का सर जाज प्रियसन ने 'किशनगती बोली का नाम देकर उसे भारत की भापाओ मे स्थान दिया है। भाषा सम्बधी मानचिन्नो मे किशनगट राज्य उसका क्षेत्र बतलाया गया है। यह भाषा उत्तर झे जोधपुर की वाली से, दक्षिण म मेवानी स और प्रुव म जयपुरी भाषा से भ्रभवित प्रतीत होती है । वसे अधिवाशत ढढारी व मारवाड़ी का सम्मिश्रण ही पाया जाता है । लिखने पत्ने की मुख्य भाषा हिंदी ही रही है। यहाँ के सांग व्यापाश्वि खाते लिखने मे हिती व किशिनगरी दोना ही भाषाओ का प्रयोग करते हैं ।




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