विश्व इतिहास की झलक | Vishwa Itihas Ki Jhalak

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चन्द्रगुप्त वार्ष्णेय - Chandragupt Varshneya

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पंडित जवाहरलाल नेहरू -Pt. Javaharlal Neharu

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सालगिरह की चिट्ठी णु झौर तुम्हारें दिल में कितना हौसला पैदा हुआ था कि तुम भी उसीकी तरह कुछ काम करो ? साधारण मर्दों भ्रौर भ्ौरतों में श्रामतौर पर साहस की भावना नही होती । वे तो श्रपनी रोज़ाना की दाल-रोटी की, झपने बाल-बच्चों की, धर-सिरिस्ती की कमटों की भौर इसी तरह की दूसरी बातों की चिन्ता में फंसे रहते है। लेकिन एक समय श्राता है जब किसी बड़े उद्देश्य के लिए सारी जनता में उत्साह भर जाता है भ्ौर उस वक्‍त लीधे-सादे मामूली स्त्री भौर पुरुष वीर बन जाते हैं, भौर इतिहास दिल को थर्रा देनेवाला श्रौर नया युग पैदा करनेवाला बन जाता है। महान नेताश्रों मे कुछ ऐसी बाते होती हूं जो सारी जाति के लोगों में जान पैदा कर देती है श्नौर उनसे बड़े-बड़े काम करवा देती है । वह वर्ष, जिसमें तम्हारा जन्म हुभ्रा, श्र्यात्‌ सन्‌ १९१७, इतिहास का एक बहुत प्रसिद्ध बष हैं। इसी वर्ष एक महान्‌ नेता ने, जिसके हृदय मे गरीबों झौर दुखियों के लिए बहुत प्रेम श्नौर हमदर्दी थी, भपनी क़ौम के हाथो से ऐसा उच्च कृटूम करवा लिया जो इतिहास में प्रमर रहेगा । उसी महीने में, जिसमें तुम पैदा हुईं, लेनिन ने उस महान्‌ क्रान्ति को गुरू किया था, जिससे रूस भ्रौर साइबेरिया की काया पलट गई । श्रौर भ्राज भारत में एक दूसरे महान्‌ नेता ने, जिसके हृदय में मुसीबत के मारे श्रौर दुखी लोगो के लिए दर्द है श्रौर जो उनकी सहायता के लिए बेताब हो रहा है , हमारी कौम मे महान्‌ प्रयत्न श्रौर उच्च बलिदान करने के लिए नई जान डाल दी है, जिससे हमारी कौम फिर श्राज़्ाद हो जाय, भ्रौर भूखे, गरीब झौर पीड़ित लोग श्रपने पर लदे हुए बोक से छुटकारा पा जायें । बापूजी,' जेल मे पडे हे, लेकिन हिन्दुस्तान की करोड़ो जनता के दिलों में उनके सदंझ का जादू पैठ गया है श्रौर मद श्रौर श्रौरते श्र छोटे-छोटे बच्चे तक श्रपने-भपने छोटे-छोटे और तंग दायरों से निकलकर भारत की श्राज्ादी के सिपाही बन रहे हें। भारत में श्राज हम इतिहास निर्माण कर रहे है । हम भझौर तुम श्राज बडे खुर्ाकस्मत है कि ये सब बाते हमारी श्राँवों के सामने हो रही है, श्रौर इस महान्‌ नाटक में हम भी कुछ हिस्सा ले रहे है । हि इस महान्‌ भ्रान्दोलन में हमारा रुख़ क्या रहेंगा ? इसमें हम कया भाग लेगे ? में नहीं कह सकता कि हम लोगों के जिम्मे कौन-सा काम श्रायगा । लेकिन हमारे जिम्मे चाहे जो काम भ्रा पड़े, हमें यह बाद रखना चाहिए कि हम कोई ऐसी बात नहीं करेंगे जिससे हमारे उद्देश्यों पर कलक लगे श्रौर हमारे राष्ट्र की बदनामी हो । श्रगर हमे भारत के सिपाही होना है, तो हमको उसके गौरव का रक्षक बनना होगा और यह गौरव हमारे लिए एक पतित्र धरोहर होगी । कभी-कभी हमें यह दुदिधा हो सकती है, कि इस समय हमें क्या करना चाहिए ? सही क्या है और गलत बया है, यह तय करना श्रासान काम नही होता । इसलिए जब कभी तुम्हे शक हो तो ऐसे समय के लिए में एक छोटी-सी कसौटी तुम्हें बताता हूँ । शायद इससे तुम्हे मदद मिलेगी । वह यह है कि कोई काम खुफिया तौर पर न करो, कोई काम ऐसा न करो जिसे तुम्हें दूसरो से छिपानें की इच्छा हो । क्योकि छिपाने की इच्छा का मतलब यह होता है कि तुम डरती हो, श्रौर डरना बुरी बात हैं श्रौर तुम्हारी शान के ख़िलाफ़ है । तुम उहादुर बनों झौर बाक़ी चीजे तुम्हारे पास प्राप-ही-श्राप झाती जापँगी । श्रगर तुम बहादुर हो तो तुम डरोगी नही, झीौर कभी ऐसा काम न करोगी जिसके लिए दुसरो के सामने तुम्हे धर्म मालूम हो । तुम्हें मालूम है कि हमारी भ्राजादी के भ्रार्दोलन में, जो बापूजी की रहनुमाई में चल रहा है, गुप्त तरीकों या लक-छिप कर काम करने के लिए कोई स्थान नही है । हमे तो कोई चीज छिंपानी ही नहीं हैं। जो बुछ हम कहते हे या करते है उससे हम डरते नहीं । हम तो उजाछे में भ्रौर दिन-दहाड़े काम करते हे । इसी तरह भ्रपनी निजी ज़िन्दगी में भी हमे सूरज को श्रपना दोस्त बनाना चाहिए शभ्ौर रोशनी में काम करता चाहिए । कोई बात छिपाकर या श्राँख बचाकर न करनी चाहिए । एकास्त तो अलबता हमे चाहिए बौर वह स्वाभाविक भी है, लेकिन एकाम्त शभ्रौर चीज़ है प्ौर पोशीदगी दूसरी चीज़ हैं । इसलिए, प्यारी बेटी, झगर तुम इस कसौटी को सामने रखकर काम करती रहोगी तो एक प्रकाशमान्‌ बालिका बनोगी श्रौर चाहे जो घटनाएं तुम्हारे सामने भ्राये तुम निर्भय श्रौर शारत रहोगी ग्रौर तुम्हारे चेहरे पर छिकन तक न झायगी 1 मैंने तुम्हे एक बड़ी लम्बी चिट्ठी लिख डाली । फिर भी बहुत-सी बाते रह गईं, जो में तुमसे कहना चाहता हूँ । एक पत्र में इतनी सब बाते कहाँ समा सकती हे ? 'महात्ता गाँधी ।




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