यूरोप के स्कैच | Europe Ke Sketch

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Europe Ke Sketch by रामकुमार -Ramkumar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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काहिरा को एक बाल ७ न श्र दा, परन्तु फिर भी नाक तक घुरका पहले चारब का सौंदर्य लिए सवतियाँ और पपनी राष्ट्रीय पोशाक मां कुछ पुरुष दिखाई दिये, अन्यथा सब कोट टाई या सके हो पहन हुए थे । सड़क की परटारियाों पर सामास बेचने बालों की भी कमा सह थी । सिख का नृत्य रात की उस फिंघी मित्र के घर इतसे दिलों चशचात दाल-'घावल लाकर दुतनी चूष्ति फिंली कि एक बार घर पर भोजन करने का आनन्द छा गया । उसी पितघ्र थे पिखत्र का चूत्मि राति को हमें देखे की सलाह दी और हम सृत्य- घर की आर सल दिये । सोचा था कि यहाँ सिख सश्यता का एक नया चित्र रखे का छावसर मिकषणा, परन्तु हुआ उससे ठीक उलटा । १६वीं शतान्दी की यूतिप की बहुत सस्ती शोर अश्लील नकल दिखाएं दी | पेट के लिए किस प्रकार शरीर का व्यापार इसने खुले आम हो सकता है थीर मनुष्य की वाससा को फ़िस अकार छात्यन्त मदद छंग से उमारा जा सकता है, बही ऐेखने बी शिखा | सर्सफ्रियों से सुस्य दिखाने की छापेकषा अधतग्त छाचस्था से सपना रीर ही थिजली के धरकाश में छाथिक दिखाया आर ब्याश्वय हाता था उस छाए पविस्था बाकी 1खिसकट छारि शशब के सश से सस्त हक मन पर फूल फेंकरों वाले पुरुषों पर जो. परदा शिंरसे पर खुशी से तालियाँ पीटते हुए यहीं थक थे सर छापसा सत्य सलाप्त करके बाहर हाल में हाव-साथ दिखाती हुई उन स्तकियों की कमर में हाथ छातकर उन्हें खुले हाथों से पेग परिलातें थे । यह सब रखकर विदूशी सभ्यता का उम्दा रंग, चद़से बाएं देश का लग्न सिंत्रे हसारो आँखों के सामने खिंब साया | सथ्ल्ीलये सर दिस प्रात:काल ही हम काहिशरा के स्यू्यप (संग्रहालय) में पाये, शशिसकी देखकर रात्रि की सम्यता छोर दिन के प्रकाश को झस्तर झोर मी स्प्ठ हों साया । प्राचीन संस्क्ात के स्पष्ट उदाहरण हमारी शाखा के सामने . थे । इ्सारों पे पूर्व मिंझा की कया. दशा थीं और उस समय की सभ्यता चोर संस्कृति फ्िंतनी घच्च कोटि की थी जिसे रखकर एक बार इस समय की 'छाुनिक तथा कथित प्रगति पर शौक ही हुमा । कला के 'इतमे सुन्दर ' नमूगे ाज तक कभी. देखने को नहीं मिलें थे । पत्थर की इतनी विशाल : सुर्तियों थीं जितने हमार चारमंजिसे मकास दोसे हैं । कलाकारों से उस पथरों पुर किस अकार अपनी 'छमुभूतियाँ, छोर “ायनार्णयी किचा हुए]




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