जैन दर्शन और आधुनिक विज्ञान | Jain Darshan Or Aadhunik Vigyan
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
156
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
मुनि नगराज - Muni Nagraj
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सोहनलाल बाफणा - Sohanlal Bafana
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्
स्पाहाद श्रौर सापेक्षवाद
स्याद्वाद भारतीय दर्दानों की एक संयोजक कड़ी श्रीर जैन दर्दान का हृदय है ।
इसके बीज श्राज से सदस्रों वर्ष पूर्व संभापित जैन श्रागमों में उत्पाद, व्यय, घ्रौव्य;
स्यादस्ति स्यान्नास्ति ; द्रव्य, गुण्ण, पर्याय; सप्त-नय श्रादि विविव रूपों में विखरे पड़े
हैं । सिद्धटसेन, समन्तभद्र श्रादि जैन-दार्थानिकों ने सप्त भंगी श्रादि के रूप में ताकिक
पद्धति से स्याद्ाद को एक व्यवस्थित रूप दिया । तदनन्तर श्रनेंकों श्राचायों ने इस
'पर अगाघ वाजड़मय रचा जो श्राज भी उसके सैरव का परित्वय देता टै ! दियत
१५०० चर्पों में स्याद्वाद दादनिक जगत का एक सजीव पहलू रहा श्ौर श्राज
भी है।
सापेक्षवाद वैज्ञानिक जगत में वीसवीं सदी की एक मह्ानु देन समभा जाता
है । इसके श्राविप्कर्ता सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रो० भ्रलवर्ट श्राइस्टीन हैं जो पादचात्य देशों
में सर्वसम्मति से संसार के सबसे श्रधघिक दिमागी पुरुप माने गये हैं । सन् १९०४ में
आ्ाईस्टीन ने सीमित सपिक्षता' शीर्पक एक निवन्ध लिखा जो “भौतिक छास्त्र का
चर्प पत्र (०४४ 900८) नामक जर्मनी पश्चिका में प्रकाधित हुआ । इस निवन्व ने
वैज्ञानिक जगत में श्रजीव हलचल मचा दी थी । सन् १९१६ के वाद उन्होंने श्रपने
सिद्धान्त को व्यापक रूप दिया जिसका नाम था--'श्रसीम सापेक्षता । सन् १९२१ में
उन्हें इसी खोज के उपलब्ष में भौतिक विज्ञान का 'नोवेल' पुरस्कार मिला । सचमुच
ही श्राईस्टीन का भ्रपेक्षावाद विज्ञान के शान्त समृद्र में एक ज्वार था । उसने विज्ञान
की बहुत सी वद्धमूल घार्शाओं पर प्रहार कर एक नया मानदण्ड स्थापित किया ।
श्रपेक्षावाद के मान्यता में श्राते ही न्यूटन के काल से घाक जमाकर वैठें हुए शुद्त्वा-
कर्पण (1.८१ 0 फ्रत्धर्शप्थिधिंणा) का सिंहासन डोल उठा । 'ईथर' (6७6) नाम-
दोष होने से वाल वाल ही वच पाया व देदा-काल की घारणाओं ने भी एक नया रूप
ग्रहण किया । श्रस्तु; बहुत सारे विरोधों के पश्चात श्रपनी गणित सिद्धता के कारण
झाज वह श्रपेक्षावाद निविवादतया एक नया श्राविष्कार मान लिया गया है । इस
प्रकार दार्यनिक क्षेत्र में समुदुभूत स्याद्ाद श्रौर वैज्ञानिक जगत में नवोदित सापेक्षवाद
का तुलनात्मक- विवेचन प्रस्तुत निवन्ध का विषय है ।
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