जैनागम दिग्दर्शन | Jainagam Digdarshan

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Jainagam Digdarshan by मुनि नगराज - Muni Nagraj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(2) सुयगडंग, सुन्रकृतांग के नाम 49, सुत्रकृतांग का १3) १4) 5) व्‌ है गा जन्ज्न् भ््ज्् बॉ १10) नु11 न12 ) भा स्वरूप : कलेवर 49, विभिन्न वादों का उल्लेख 50, दर्दन श्र श्राचार 51, वबौद्धभिक्षु 53 वेदवादी ब्राह्मण 54, श्रात्माद्॑ तवादी 55, हस्ति तापस 55, व्याख्या साहित्य 56, ठाणांग 56, दर्दन-पक्ष 57, व्याख्या-साहित्य 59, समवायांग 60, वर्णन-क्रम 61, विवाह-पण्णत्ति 61, वर्णन-शैली 62, जैन घर्म का विश्वकोश 63, अन्य ग्रन्थों का सुचन 63, ऐति- हासिक सामग्रो 63, ददशन-पक्ष 64, णायाघम्मकहाश्रो नाम की व्याख्या 65, श्रागम का स्वरूप : कलेवर 66, उवासगदसाश्रों नाम : झ्रथे 67, झचारांग का पूरक 67, अंतगडदसाझओ नाम : व्याख्या 69, अचुत्तरोववाइयदसाशओओ नाम : व्याख्या 70, वर्त- मान रूप : अपरिपूर्ण, यथावत्‌ 71, पण्हवागरणाईइं नाम के प्रतिरूप 71, वर्तमान रूप 71, वर्तेमान स्वरूप : समीक्षा 72, विवागसुय 73, दिट्विवाय, स्थानांग में हृष्टिवाद के पर्याय 75. इष्टिवाद के मेद : उहापोह 76, मेद-प्रमेदों के रूप में विस्तार 76, अनुयोग का तात्पर्य 76, द्वादश उपाग -- 78-110 उपांग 78, झंग : उपांग : शसाहरश्य 78, वेदों के (2)




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