तरुण भारत | Tarun Bharat

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : तरुण भारत  - Tarun Bharat

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रामचन्द्र वर्मा - Ramchandra Verma

Add Infomation AboutRamchandra Verma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
श्प््प राष्ट्रीय झान्दोलन का इतिहास शौर व्याख्या । गए कक बवकादुदडनन तक कि राणाप्रताप सुगलों से मुठ मेड़ करने के लिए तैयार था, तब तक घद्द कभी यह स्वीकार न कर सकता था कि हिन्दू लोग पूणतः परास्त हो गये हैं । सोलइवीं शताप्दी में झाकबर का झपने श्रघीनस्थ श्र झाश्रित एक हिन्दू सेवक को इस धरृष्टता श्र सरलता से अपने स्वातंत्रय-प्रेम को प्रकट करने देना उसकी उदार-बुद्धि का झच्छा परिचय देता है । दमें स्मरण रखना चाहिए कि झकबर आयः सभी उत्तम राजपूत घरानों को मित्र बनाने में सफल हो शुका था । श्रमिमानी राठौर ने श्रपनी पुत्री उसको व्याद्दी थी और कछचाहे बी कानेर और बूँदी वाले भी उसके आशित हो 'वुके थे। राणा प्रताप को झकवर श्रौर उसके साथी श्रपने घनिष्ट खबंधी राजपूत भाइयों की सेनाझो से श्रकेले लड़ना पड़ा था । तथापि चह श्रकेला दी प्रायः पचीस वर्ष तक श्रकवर के शक्ति- शाली साम्राज्य से, जो उसको विजय करने के लिए कटिवद्ध दो खुका था, लड़ता मिड़ता रददा। करनल टाउ साइव भाषपूर्ण चावयों में कहते हैं--“जो लोग अनुकूल परिस्थितियों में राज्य का निर्माण करते हैं, उन लोगों को इस घात का ध्यान रखना चाहिए कि प्रताप ने झपने छोटे से राज्य के भरोसे पर, किस प्रकार के शाव रख कर झापने समय के सबसे बड़े और ऐसे साम्राज्य का सुकावला किया था जिसके सैनिकों की संख्या और युद्ध-निपुणता उन सैनिकों की संख्या शऔर युद्ध-निषुणता से भी बढ़ी चढ़ी थी जिनको ले कर फारसवालो ने यूनान की स्वतंत्रता नए करने के लिंए उस पर चढाई की थी । सत्यु शय्या पर पड़े इए राणा प्रताप ने अपने उत्तराधि- कारो को अपने देश की स्वाघीनता के वैरियोँ से सदा लड़ते रदने की शपथ खिलवाई थी । यह सब सोलदवीं शताद्दी में




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now