देखा सुना पढ़ा | Dekha Suna Padha

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Dekha Suna Padha by ओंकार शरद - Omkar Sharad

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about ओंकार शरद - Omkar Sharad

Add Infomation AboutOmkar Sharad

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
बेनीपुरी का नाम सदा युवकों के लिए जवानी का प्रतीक बना रहेगा । पा | ि एक बात और याद आयी... ... ... ८... «८... इधर पिछले दिनों मैं अपनी आर्थिक चिन्ताओं से ऊब कर एक दिन उन्हें लिख बैठा, अपनी परेशानियाँ, भंकटें । मालम था कि उनकी भी परेशानियाँ कम नहीं, उनके भी कऋंकट कम नहीं । लेकिन उनके अलावा मुझे समझने वाला कौन है ! सो, लिख ही दिया । हफ्ते भर बाद उन्होंने समभका कर लिखा-- “कैसे आदमी हो ! सोचो न, बेचारी परेशानियाँ मेरे-तुम्हारे यहाँ भी न जाय. तो भला कहाँ जायें ! कोई पैसे वाला तो उन्हें अपने पास फटकने नहीं देता । भाखिर उन्हें भी तो इसी दुनिया में रहना है न !”' .. फिर दूसरे पत्र में लिखा -- “देखो, तुम्हारा मेरा 'तुफान' का साथ है । तूफान जब आये और नात्र भँवर में फँस जाये तो घबरान। नहीं चाहिये । ऐसे मौकों पर डॉड़ भी छोड़ दो और बेठ कर मल्हार गाओ । नाव अपने आप भेँवर से बाहर आ जायेगी | बेनीपुरी साठ पार कर चूके हैं । थक गये हैं । उनके जीवन का तूफान भी थक गया है । जब तूफान ही नहीं तो मजा क्या ? साठ साल तुफानों को बनाने, तूफानों को ललकारने, .तूफानों से जूभने वाले बेनीपुरी: थक गये हैं तो. लगता हैं कि 'तुफान' का एक अध्याय चूक गया है । कहते हैं, योद्धा कभी गिरता नहीं, पर जब गिरता हैं तब फिर उठता नहीं । अब शायद जीवन भर का यह तूफानी योद्धा लड़ते-लड़ते थक कर गिर गया है । बेनी पुरी आजकल अस्वस्थ हैं जर्सी एलअरमकुसर के कक लेकिन बेनीपुरी नाम के साथ जुड़ी जवानी, तूफान, . आज भी प्रेरणा देने में समये है । [सन्‌ १४६२] १८0 0 देखा, सुना, पढ़ा




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now