सितारों के खेल | Sitaron Ke Khel

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Sitaron Ke Khel by ओंकार शरद - Omkar Sharad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सितारों के खेल एक विवेचन यह नाम रख दिया । उपन्यास का श्राघारमत विचार तो उस पौरासिक सती की स्थिति में आज की नारी को रखकर उसके मनोविज्ञान को देखना हैं । वह नारी नहीं कि दो एक श्रालोचकों ने. लिखा हैं । किन्ठ चहद देवी भी नहीं जैसा कि हमारे पीराखशिफ कथाकार _ उसे दिखाते श्राये हैं । वह केवल नारी है श्रीर मेरे विचार में अस्वुत उपन्यास में श्रशक जी उसके चरित्र-चित्रण में पूरी तरह सफल हुए हैं | यह पुस्तक उनकी कला के उस पढलू को सामने रखती है जो चथार्थचादियों की दृष्टि से छिया रहा हैं । हो सकता हैं कि गिरती दीवारे? व सर्मराल के यथार्थवाद के हिंमायती इसे उन दोनों उपन्यासों की चराचरी का स्थान न दें । परन्ठ में इसे उन से किसी तरह भी कम दौ कै 1 ६ हा मय ६ म्द्ट्र | | ह 7. है ६ | है है 0 उठा अर पे




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