आनन्दमय जीवन | Anandmay Jeevan
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
208
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ. रामचरण महेन्द्र - Dr. Ramcharan Mahendra
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आसन्दसय जीवन श्ज
स्वभावका व्यक्ति विकट जीवन-स्थितियोंमें भी प्रसत्न-चित्त रहता हे ।
मुसकराहट उसके मानसिक सस्थानका एक अथ् होता है ।
सनः्गान्ति: उछास और सद्धावनाकी मनःस्थितियोको विकसित
कीजिये । जिस मस्तिष्कमे ान्तिपूर्वक उछलसित मुद्रासे कार्य करनेका
स्वमाव है; वह विषम परिस्थितियोंमि भी आनन्दित रह सकता है ।
जीवनमें उदारता बड़ी सुखमय मनःस्थिति है । इसका विरोधी तत्व
अर्थात् सकुचितता मनुष्याको दवाने; सीमित करने और अहवादी बनाने-
वाला दु्ुंण है ।
जो सुख हमें दूसरोंको देनेसे प्राप्त होता है; उसे कोई भुक्तमोगी ही
अनुभव कर सकता है । देनेसे मन उदार बनता है और मानसिक; बौद्धिक;
दारीरिक; आध्यात्मिक सभी प्रकारकी शक्तियोका विकास होता है । यह
दान रुपये-पैंसे; श्रम; सहयोग» प्रेम आदि अनेक प्रकारका हो सकता है ।
यदि आपके पास घन दान देनेके लिये नहीं है; तो श्रम-दान कर दीजिये ।
श्रम-दान अर्थात् अपने मन; गरीर) वचन कर्म किसी भी प्रकारके श्रमद्वारा
दूसरोकी सहायता कर दीजिये । इस उदारतासे आपकी शुप्त आध्यात्मिक
दाक्तियोँका विकास होगा । उदारता मनुष्यके बडप्पनका चिह्न है ।
जीवनमें सदुद्देश्यसे कार्य करते चलिये । यदि आपका उद्दे्य
पवित्र है तो गरीबीके जीवनमें भी सुख; शान्ति और आनन्द है । “सब
सुखी दा) सब स्वास्थ्य प्रास करें; सब कल्याण प्राप्त करें सब उन्नति
करते रहें”--ये ऐसी भावनाएँ: हैं जिन्हें सामने रखकर कार्य करनेसे मनुष्य-
को आन्तरिक सुख-सतोप प्राप्त होतां है । आपके जीवनका उद्देश्य
आध्यात्मिक सौन्दर्यसे युक्त जीवन तथा शक्तिकी प्राप्ति होना चाहिये । यह
उद्देद्य सबसे ऊँचा और कल्याणकारी है ।
दूसरोके जीवनमें दिलचस्पी लिया कीजिये । स्वकेन्द्रित होनेसे मनुष्य
दूसरोंका हानि-लाभ नहीं देख पाता; अपना-ही-अपना भला देखता है ।
आ० जी० २--
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