आनन्दमय जीवन | Anandmay Jeevan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आसन्दसय जीवन श्ज स्वभावका व्यक्ति विकट जीवन-स्थितियोंमें भी प्रसत्न-चित्त रहता हे । मुसकराहट उसके मानसिक सस्थानका एक अथ् होता है । सनः्गान्ति: उछास और सद्धावनाकी मनःस्थितियोको विकसित कीजिये । जिस मस्तिष्कमे ान्तिपूर्वक उछलसित मुद्रासे कार्य करनेका स्वमाव है; वह विषम परिस्थितियोंमि भी आनन्दित रह सकता है । जीवनमें उदारता बड़ी सुखमय मनःस्थिति है । इसका विरोधी तत्व अर्थात्‌ सकुचितता मनुष्याको दवाने; सीमित करने और अहवादी बनाने- वाला दु्ुंण है । जो सुख हमें दूसरोंको देनेसे प्राप्त होता है; उसे कोई भुक्तमोगी ही अनुभव कर सकता है । देनेसे मन उदार बनता है और मानसिक; बौद्धिक; दारीरिक; आध्यात्मिक सभी प्रकारकी शक्तियोका विकास होता है । यह दान रुपये-पैंसे; श्रम; सहयोग» प्रेम आदि अनेक प्रकारका हो सकता है । यदि आपके पास घन दान देनेके लिये नहीं है; तो श्रम-दान कर दीजिये । श्रम-दान अर्थात्‌ अपने मन; गरीर) वचन कर्म किसी भी प्रकारके श्रमद्वारा दूसरोकी सहायता कर दीजिये । इस उदारतासे आपकी शुप्त आध्यात्मिक दाक्तियोँका विकास होगा । उदारता मनुष्यके बडप्पनका चिह्न है । जीवनमें सदुद्देश्यसे कार्य करते चलिये । यदि आपका उद्दे्य पवित्र है तो गरीबीके जीवनमें भी सुख; शान्ति और आनन्द है । “सब सुखी दा) सब स्वास्थ्य प्रास करें; सब कल्याण प्राप्त करें सब उन्नति करते रहें”--ये ऐसी भावनाएँ: हैं जिन्हें सामने रखकर कार्य करनेसे मनुष्य- को आन्तरिक सुख-सतोप प्राप्त होतां है । आपके जीवनका उद्देश्य आध्यात्मिक सौन्दर्यसे युक्त जीवन तथा शक्तिकी प्राप्ति होना चाहिये । यह उद्देद्य सबसे ऊँचा और कल्याणकारी है । दूसरोके जीवनमें दिलचस्पी लिया कीजिये । स्वकेन्द्रित होनेसे मनुष्य दूसरोंका हानि-लाभ नहीं देख पाता; अपना-ही-अपना भला देखता है । आ० जी० २--




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