शोषण-मुक्ति और नव समाज | Shoshan Mukti Or Samaj

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Book Image : शोषण-मुक्ति और नव समाज - Shoshan Mukti Or Samaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्र शोषण के प्रकार और इछाज १. भूमि का स्वामित्व भूमि फा स्वामित्व शोषण का आय और मुख्य साधन है । ईश्वरनिर्मित भूमि जो खुढी पड़ी थीं, उसे मनुष्य ने छेका, दथि- याया; दूसरों को उस भूमि पर पैर रखने की मनादी की । समुष्य पहले म्रगयाजीवी था; पशुओं की सरह ही भूख ढगने पर अपने भध््य के ठिए भटकता फिरता और कन्दमूल फल शैसे अनायास मिठनेयाले पदार्थ साता था अथवा सरदा, दिरन, सुरगी, मेड़-वकरी, मेंस जैसे स्थटचर; तीतर, कबूतर सैसे स्रेचर अथवा मछठी-कछुएं जैसे जख्यर प्राणी जो जहाँ मिलने मार कर रा जाता था। पीठे उसने सुर्गे, सेड-वकरे; साय-प्ैंट, ऊँट आदि पशुनपक्षियों को पाठनू बनाने फी सरकीय हूँ निकाठी और धदद सोपाठ- बृत्ति से जीने लगा । अपने परुओं फो चराना, जय आवदयफ दो, पाठनू परुओं को मारकर उनका मांस सा. जाना और उनकी श्वाउं ओोट़मा, एक लगद्द फा चारा समाप्त दोने पर अपने पटुओं फो लेकर ऐसी लगद जाना लदँ चारा मिटे-इस प्रकार यदद रहे छगा | इसी समय में उसने घुड़म्सरचना की और 'गोप्र' ( थर्घान्‌ गोवंश फे रक्षक परिवार ) थने । सर कु समय वाद उसने गेठी की फटा आविप्टत की 1 ग्पेवी था आविध्यार होने पर थी मनुष्य एक लगह पर धनाकर




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