कृति कर्म | Kriti Karm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
386
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उततिवमे (७)... .. चूदतरवयंभूस्तो ्रमू
स्वोन्॥ 2 १॥ विधिविंषक्रम्रतिषेघरूप: प्रमाणमत्रान्यतरत्प्रघानमू ।
गुणो5परो गुख्यलियामहेतुजयः सदशन्तसमथनस्ते 0! २)
विवक्षितो मुख्य इतीष्यते5न्यो गुणो5विवक्षो न निरात्मकस्ते ।
तथारिमित्रानुभयादिशक्रिद यावधि: कार्यकर दि वस्तु ॥४३॥।
दृष्ान्तसिद्ध।बुभ्योविंचादे साध्यं ब्रांसदूध्येझ्न तु ताइगारित ।
यत्सव थैक।न्तनियामदृष्ट' पवर्द।य्दविभवस्थ शेप ॥ ४५४४) एका-
न्तदृथ्टिप्रतिषेघसिद्धिन्य यिषुभि्मों: रिपु' निरस्य. ।. असिरम
कंवल्य विभू।तसम्र।ठ ततस्त्वमहन्नसिमे रतव, हु ॥४४॥।
॥ इति श्र याझ्ि स्स्तोच्मू 1!
शिवासु पुज्यो 5भ्युदय क्रियासु त्व वासुपूज्य स्त्रिदशेन्द्र पूज्य! ।
मयापि पूज्यो5ल्पथिया मनीन्द्र दीपाचिंपा कि तपनों न पूज्य
५६.) न पूजयाथस्तथि बीतरागे ने निन्दया नाथ विवा-
न्तवरे । तथापि ते पुरण्यगुणंस्तिन: पुनातु चित्त' दुरिता-
नेम्प! ॥४७॥ पूज्य॑ जिन त्वाचंयतो जुनस्य . सावधलेशो
बहुपृणयराशों । दोषाय- नासे कशिका तरिषस्य ने दूविका शीत-
शिषाम्बुराशो ॥५८।' यदस्तु बाद्य' गुणदोपषस्तेनि मित्तमभ्य-
न्तरस्लहेतो। । झष्यात्मघूत्तरय तदड्भूतमस्थतर ..केवलमप्यलं
ते ॥५६॥. बाध्य तरोपाधिसमग्रतेय॑ कार्यषु ते ट्रव्यगतुस्त्भातः
नेवान्यथा सोधविधिश् पु'सां. तेना भिवन्यस्तसंत्रिडु झनसद॥ ६ ०
् ॥ इति दूंसुंबूजपस्तोनमू !। . .... _
य एवं नित्यचणिकादयों नया मिथो5्नपेचा:स्वपरघप्रणा-
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