संवाद भाग 1 | Samvad Bhag 1

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : संवाद भाग 1  - Samvad Bhag 1

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about संध्या सिंह - Sandhya Singh

Add Infomation AboutSandhya Singh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
1. आशापूर्णा देवी (1909-1995) . आशापूर्णा देवी बंगाल की ही नहीं अपरतु अखिल भारतीय स्तर की लेखिका के रुप में जानी जाती हैं। उन्होंने 13 वर्ष की अवस्था से लेखन प्रारंग किया और आजीवन साहित्य रचना से जुड़ी रहीं। मैं तो सरस्वती की स्टेनो हूँ, एनका यह कथन उनकी रचनाशीलता का परिचायक है। गृहस्थ जीवन के सारे दायित्व को निभाते हुए उन्होंने लगभग दो सौ क्रतियाँ लिखी, जिनमें से अनेक क्रतियों का भारत की लगभग सभी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। उनकी रचना प्रथम प्रतिश्चति पर उन्हें साहित्य के सर्वाच्च पुरस्कार ज्ञानपीठ से सम्मानित किया गया। आशापूर्णा देवी जी की कई क़तियाँ निश्वय ही कालजयी हैं। उनकी प्रसिदृष क्रतियाँ स्वर्णलता, प्रथम प्रतिश्रुति: प्रेस और प्रयोजन, बकूलकथा, गाछे पाता नील जल और आगुन आदि हैं। आशापूर्णा देवी की लेखनी ने नारी जीवन के विभिन्‍न पक्षों प्रारिवारिक जीवन की सयस्याओं और समाज की कुंठा और लिप्सा को अर्त्यत पैनेपन से उजागर किया है। उनकी कृतियों में नारी का व्यक्ति-स्वातंत्रय ओर उसकी महिया नई दीप्ति के साथ मुखरित हुई है। सरल सहज मुहावेरेदार भावा आशापूर्णा देवी जी की रचनाओं की मुख्य विशेषता है। प्रतीकों पात्रानुकूल संवादों के प्रयोग ने उनकी कथा-शैली को जीवंत बना दिया है। प्रस्तुत आत्पकथात्मक संस्मरण मेरा बचपन में लेखिका ने अपने बचपन के विविध अनुभवों की तुलना कालांतर में परिवर्तित परिस्थितियों तथा जीवन शैली के साथ करते हुए बचपन के अभावों ओर वर्तमान




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now