कसाय पाहुड़ | Kasaya Pahudam

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Kasaya Pahudam by फूलचन्द्र सिध्दान्त शास्त्री -Phoolchandra Sidhdant Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हद जयधघबलासइदि्दि कसायपाहुडे [ बंधगों ६ चुण्णिसुत्तणिबद्धा ति तदणुसारेणेव विवरण कस्सामों । त॑ जहा-- क एदीए गाहाए बंधो च संकभो च सूचिदो होह । ४ ४. कुदो ? गाहापुव्वपच्छद्रेसु जहाकमं दोण्डमेदेसिमत्याण णिबद्ध्तदंसणादो । एवमेदेण सुररेण गाहाए समदायत्थो परूविदो । संपहि पदच्छेद्म्हेणावयवत्थपरु्रण कुणमाणों उवरिमपबंधमाह-- & पदच्छेदी ! 8 ५. सुगम । कु त॑ जहां | $ ६, सुगमं । के कदि पयडीओ बंध त्ति पयडिबंधो | 8७, कदि पयडीओ बंध तति एदम्मि सुत्तददे केत्तियाओ पयडीओ मोह- शिज्ञपडिबद्घाओ बंधइ, किमेकमाहो दोण्णि तिण्णि वा इच्चादिपुच्छामेत्ततावारेण सब्वों पयडिबंधो णिलीणो त्ति गहेयव्वो, एदस्स दसामासियभावेणावद्ठाणादों । & द्रिदि-अणु भागे त्ति ट्िदिधंधो झणुभागवंधो च | बिद्षोष खुलासा चूणिसत्रों में किया है, इसलिए चूर्णिसूत्रोंकें अनुसार ही यहाँ व्याख्यान करते हैं । यथा-- # इस गाथा द्वारा बन्घ और संक्रम ये दो अधिकार स्रचित किये गये हैं । कि (जे गए क्यों कि गाथाके पूर्वांध श्ौर उत्तराधेमें क्रमसे निबद्धरूपसे ये दो दी झधिकार देखे जाते हैं । इस प्रकार इस सूत्रद्वारा गाथाके समुदाया्थका कथन किया । 'अब पदच्छेदद्वारा प्रत्यक पदुके 'झर्थका कथन करते हुए झागेके प्रबन्धका निर्देश करते हैं-- # अब पदच्छेद करते हैं । $५. यह सूत्र सुगम है। # यथा-- ६६. यद्द सूत्र भी सुगम है | # 'कदि पयडीयो बंघदि' इस पदसे प्रकृतिबन्धकों छचित किया गया है । 8 ७. गाथा सूत्रके 'कदि पयडीयो बंघदि” इस पदमें मोदनीयकी कितनी प्रकृतियोंको बाँधता है, क्या एक प्रकृतिको बाँघता है श्रयवा दो या तीन प्रकृतियोंको बाँधता है. इत्यादि प्रच्छाविषयक व्यापार द्वारा पूरा प्रकृतिवन्ध न्तर्भूत है ऐसा यहाँ ग्रहण करना चाहिये, क्योंकि यदद पद देशा- मषेकभावसे अवस्थित है । # 'ड्रिदि-अणुभागे' इस पदसे स्थितिबन्ध और अनुभागवन्धकों स्रुचित किया गया हैं ।




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