नैषध - चरित - चर्चा | Naishadh - Charit - Charcha

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Naishadh - Charit - Charcha by महावीर प्रसाद द्विवेदी - Mahaveer Prasad Dwivedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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न पक ध्यान पकन्य, कद हनन छदरदनस सदन सनटनरनस्टरटेड (९) श्रीहष नाम के तीन पुरुष _ लैघघन्चरित के कर्ता श्रीहूष का जीवन-चरित बहुत डी कस खपलब्ध है । अपने अं में इन्होंने अपने लिवय में जो दो-चार बातें कह दो हैं; वें ही प्रासाशिक सानी जाने योग्य हैं । इनके समय तक का निर्ात निरूपण नहीं हो सकता/ यह श्मौर भी दुख की बात है । यदि हमारे देश का प्राचीन इचिहास लिखा गया होता; तो ऐसे-ऐसे प्रबंधों के लिखने में उसका अतिशय उपयोग होता । हसारे पूवज और अनेक विषयों में निष्णात होकर भी इतिहास लिखने से इतने पराड सुख क्यों रहे; इसका कारण ठीक-ठीक नहीं समक पड़ता । वे प्रवासप्रिय न थे, अथवा _ सनुष्य-चरित लिखना वे निंय समझते थे; अथवा जीवन-चरित उन्होंने लिखे, परंतु घ्रंथ ही लुप्त हो गए--ृचाहे कुछ हो; इस देश का पुरातन इतिहास बहुत ही कस प्राप्त है, इसमें संदेह नहीं । साद्पद की घोर अंधकारसयी रात्रि में जेसे अपना-पराया नहां सूक पढ़ता, वैसे ही इतिहास के न होने से श्रंथ-समूह चा ससय-निरूपण अनेकांश में छासंथव-सा हो गया है । कौन व्यागे हुआ कौन पीछे हुआ, कुछ नहीं कहा जा सकता |




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