बन्दनवार | Bandanvar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
33 MB
कुल पष्ठ :
197
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सातेश्वरी ]
“मूढ़, क्या कहता , है ? देख, सामने ठाकुरजी
विराजते हैं ।”
“तुम्हारी आँखों की कमजोरी पर मुझे तरस आता
है | में तुम्हें यथाशक्ति उघर जाने से रोकूँगा ।”
“भागा, भस्म हो जायगा |”
पथिक ने आकाश की ओर देखकर आँखों के मुँद
लिया ओर कहा--““आझओ,; अब दुम देखागे ।”
( है. ) .
मध्याह् के अंगारों में पथिक आगे-आंगे था और
पुजारी पीछे । सामने सड़क पर एक बालक हैज़े से पीड़ित
पड़ा था । विलासिनी ने अपनी गोद में उसका लथपथ
शरीर रख लिया था । पुजारी ने कहा--'““बागे चलो !”
एक घर में सात प्राणी थे । दो लड़के, तीन लड़कियाँ,
स्त्री और पुरुष । पुरुष मर चुका था । ख्तरी-पुत्र और दे
लड़कियाँ मरणासन्न--बाक़ी भूख-प्यास से बेचैन । पुजारी
का हृदय पसीज गया, पर वे थे अछूत 1 विलासिनी वहाँ
भी आ गई | पुजारी ने पथिक की ओर देखा । वह निर्वि
कार था | ं
रे
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