समर्पण | Samarpan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
375
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विस्य-्रवेश छ
भरते में बद्ा उपयोगी सिद्ध हुआ दै । जन-शाधारण में यह बात प्रचलित है
फिमप शरीर कोष मनुष्य के समाद को सषट कर देते हूं। मनोविज्ञान इस
कथन की सवता को प्रमाणित बरता है । मोध श्रौर भय वा प्रतिकार मैत्री-
भावना के श्रम्यास से दोता दे । श्वतरव मैनी-मावना का शर्याठ स्वास्थ्य
घडक है । जिन विचारों से मनुष्य के सन में प्रसन्नता श्राती है, वे ब्रिचार
शक्तिदद्धक शरीर झ्ारोग्दायक होते दें । इसके प्रतिकूलें जिन श्रिचारों से
मानसिक चोभ दोता है, मे स्तरास्य विनाशक होते हूं ।
मनोविशान की श्ाधुनिक सोजों ने मतुप्य के दिचार श्गौर स्यास्थ्प के
सम्बर्द पर एक नया प्रश्न डाज्ञा है! मनुष्प की बहुत-सी श्रत्स इच्छाएँ:
तथा उसकी कलुपरित मावनाएँ, मानसिक श्रयय शारीरिक सेग के रूप में
म्रकद दोती हैं । चिच-विश्लेपक चिडित्सदों ने कई ऐसे रोगों बा पता बजाया
है जिनवी उर्तत्ति वा. पस्थ मानलिक रदता दै धर डित्हें मानसिक विकित्सा
के द्वार दी इदाया था बता दे । दिस्टीरिया, इटीलपन, उन्माद, '्वनिद्या,
रोते सम बचवाद करना, श्रात्मघात वी प्रशत्ति श्ादि शनेक ऐसे मानसिक
रोग हैं थो किसी प्रहार बी शारीरिक चिक्त्सि के द्वारा नहीं हदाये वा सकते !
देसे रोपों को इृदाने फे लिए मानसिक चिनित्ता की श्रावश्यकता होती है |
श्तेक शारीरिक येगों का कारण भी मानसिक दोता है । कभी-कमी साधारण
शारीरिक रोग संवेगपूर्ण मावना के दमन से उतर दो नाते हैं । लक्वा,
सिस्मी, बोइददता, मधु-मेद, दमा श्ारदि साधारण रोगों का कमीशमी
नमानतिक कारण पाया गया हैं। कितने दी शारीरिक रोग ददानेशाजी के
रोग दोते हैं । मन इन रोगों की उस छिसी झपरिय बर्दव्प से बचने के लिए,
करता हे ।
संदेप में यद कद्दा ला सबता दे कि इमारे बैरक्तिक तथा सा्मिझ वन
“का ऐसा कोई पद नहीं जिसमें सनोविशान की थावरपरदा ने दो ।
वैज्ञानिक विधि
मनोतिशान एक दिदान है | इसके झप्पपन में इसे सदा इस बात
पाए प्यान रलना शोता दै कि इमारा झप्ययन दैशानिक रीति का हो, शार्दीय दथ
कानदो। झरदेय रीति पैरानिड रोति से स्थिहदे। शल्य डिसी दिशेद
मत को लेदर चलता दै और उस मर का पतिपादन धरनी सुद्ियों के द्वारा
व. 3८1९४७४६० हु ९६४०१,
User Reviews
No Reviews | Add Yours...