नर्सों के लिये शरीर सम्बन्धी ज्ञान | Narson ke Liye Shrir Sambndhi Gyan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Narson ke Liye Shrir Sambndhi Gyan by ओमप्रकाश यादव - Omprakash Yadav

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about ओमप्रकाश यादव - Omprakash Yadav

Add Infomation AboutOmprakash Yadav

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
9 रहते हैं। जब पदार्थ द्रव में घोल के रूप में रहता हैं और पदार्थ के एक परमाणु ने इलेक्ट्रॉस अलग होता है, तव ऑयन बनता है। जो पदार्थ इस प्रकार विघटित होने हैं उन्हें इलेक्ट्रोलाध्ट्स कहते हैं क्योकि ये मामूली विद्यतीय आवेग वहन करने हैं । इलेक्ट्रोनाटटस शरीर-द्रवों में मोजद रहते है तथा जीवन के लिये आवश्यक होते हैं । मेंस दबाव (0५ फ्ाप्वड्ताटो 2 पहले यह बनाया गया था कि एक अण दूसरे जणु से आपयी आकर्षण ठारा जुड़ा रहना है। ठोस के जण एक दूसरे से मजबूती से आकर्षित रहते है टसलिए ठोस का शावार था आऊति जासानी से परिवर्तित नहीं होती । द्रव (तरल) के मपू एक दूसरे से बम मजयबूनी से जाक्पित रहते हैं। इसलिये इनकी आकृति अधिन आामानी से परिवर्तित हो सकती हैं और द्रव या तरन पात्र की आकृति ग्रहण नगर लेता है। गस के अण आपस में बहूत ही कम सूप से आकर्षित रहते हूँ अत जब रेस खाली (शन्य शक्टरणा) पाव में भरी जाती है तब अण एक ट्रसरे से अलग होकर पूरे पाय्र लो भर देने है । यदि अधिक गंस प्रविप्ट की जाय तो अण आपस में घने न्प से सट जाते है और ऐसा कहा जाता हैं कि गेस पर दवाव है। शरीर में गसो के उपयोग के लिये गेस दवाव महत्वपूर्ण है । जन तक फुप्पुसों में ऑक्सीजन पर्याप्त दवाव मे नहीं टोती नव तक सम्पूर्ण शरीर मे संवहित होने के लिये यह स्यानान्तर्ति (जादान-प्रदान) नहीं हों सकेंगी तथा झारीर के ऊतकों में भी ऑक्सीजन कम माता मे पहुँचेगी । ऊँचे पहाड़ों पर वायु का इबाव उतना कस होता है कि मनप्य ऑवसीजन की अतिरिक्त पूर्ति के बिना जिन्दा नहीं रह सकता, हालाकि वहाँ मोमबत्ती जरुर जलेगी, क्योकि दवाव कम होने के वावजद मी वाय पर्याप्त मात्रा में रहती है । एस कक्ष में, जहाँ ऑक्सीजन की माता कम है, मोमबत्ती नहीं जगेगी, होताकि मनुप्य जीवित रह सकता क्योंकि जो आस्सीजन मौजूद है उसलना दवाव काफी है। ४ / उप 'घोल एव डइसल्शेंन अणए11015 द्ाएँ छााण 51005 जब शक्कर के ढेते को गरम पानी के कप मे रखा जाता है तो शक्कर बल जाती है और कप में शशफर का घोल वन जाता है। जव शक्कर समान रूप से सम्दूर्ण द्रव में घन जाती है तब शक्कर के जण पानी के अण के साथ मिल जाते है। इस प्रक्रिया को विचालन (हिनाना ) द्वारा बटाया जा सकता है, लेकिन शक्कर का समान वितरण बिना किसी विचालन के भी होगा । द्रव की नापी हुई मात्रा मे अन्य पदार्थ को नापी हुर्ट मात्रा ही घुलेगी और जव द्रव में अधिकाधिक पदार्थ घुव जाता है तर इसे सतृप्त घोन (5घ10/घ2 5धि्णा ) कहते है । द्रव मे ठोस, तरल एव गेसें घुल सकती हैं । बॉक्सीजन पानी में घल जाती है, जो मछलियों को जिन्दा रखने मे सहायक होती है। द्रव को गरम करने से घली हुई गैम निकल जाती है । जैसे ही द्रव गरम होता है,




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now