भूदानी सोनिया | Bhudani Soniya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
286
श्रेणी :
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उदय राज सिंह - uday raj singh
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जय प्रकाश - Jay Prakash
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)“बैठक अगले माह बम्बई में होने जा रही है, देखें हमें क्या हुक्म होता है ।
जी उठ-उठ कर बेठ जाता है नवीन !” उफ”
ग्रो० साहब अपने श्रन्दर किंसी उमड़न को, किसी तैश को दबाने की
“चेष्ठा करने लगे ।
“जी साहब, सच मानिए, मेरा तो आज-कल सोना हराम है । रगों मैं
बराबर खून दौड़ता रहता है । रब यदि कुछ न होगा तो मेरी नसें फूल कर
फट जायेंगी । इतना “टेन्शन” है प्रो० साहब !”
“गाँधीजी कभी-कभी जाने कया कर बेंठते हैं, कुछ समभ में नहीं छाता ।
चौरी-चौरा का काराड' तो आपको याद ही होगा । मैं तो उस समय गोद का
“बच्चा था । कहाँ आज़ादी के दीवाने जवानों के जोश की तेज रफ्तार, कहाँ
लगा दी एकाएक ब्रेक । उधर टेन्शन और इधर पसती । सारा देश तिलमिला
“कर रह गया । फिर नमक-संत्याग्रह के समय बेसौके ब्रेक लगा दी; और आज
जब देश पागले हो रहा है, भँग्रेजों को घताने का सबसे अच्छा मौका था
गया है तो श्रभी भी श्राप ब्रेक से पैर हटाते ही नहीं । हाँ, इंजन गर्म हो
रहा है--गमे; अब देखिए, ज्वालामुखी फूटेगी--श्गर श्ैंग्रेज खशी-खुशी
हमारी माँगें पूरी न करेंगे तो अपना हक़ हम लड़ के होंगे, से के रहेंगे।”
“पागल न बनी नवीन, गाँधीजी देश के थरमामीटर हैं। उनका भी
९पारा चढ़ रहा है। उनके झन्तर की आवाज़ सारे देश की पुकार बनकर देश
+ी नहीं, सारी दुनिया में समीन-थासमान के बीच गूँजना ही चाहती है।
भाई, धीरज 'घरो, कान की चाल और कमांड पर प्रश्न नहीं उठाते और
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