संसार - शासन | Sansaar Shasan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ९११. ) अनेकों दल बन जाते हैं और दाने: दाने: पारस्परिक वेसनस्यता से परिणत हो जाता है । प्राय: यह बहुत कम होता है कि कोई दो मेस्वर राज के किसी विपय पर सहसत हो । ससस्त शर्तों का ढीक रूप में प्रदुशन होना असम्भव हैं । दल वन्दी का अभिषाय यह है कि बहुत से एकमत लोग परस्पर सन्त्रणा करके अपना संगठन कर लें । थदि बहुत से मेस्बर अपना स्वतंत्र दूछ बना लेते हैं तो इनका कार्य क्षेत्र भी विद्याल हो जाता है । जर्मनी में १९२४ में ९ दुकू थे। ज़ीकोस्लोवेकिया में १९२० के निर्वाचन के समय २७६ मेम्वरों के १५ दल थे । प्रत्येक दल के मेस्वरों की संख्या १ से ७६ तक थीं। १९२५ के निर्वाचन के समय २९ दल वन गये थे । ऐस्टोनिया में १०० मेस्वरों के दस दल थे । लेटविया में १९२५४ में ४३ दल थे ! अनेकों दुल होने का कारण संख्या तुल्य निर्वाचन ही नहीं है घरन और बातें भी हैं--उदाहरणाथ आजकल व्यवसायी लोग भी अपने दछ बना केते हैं ओर अपने अपने मेस्वर भेजने का प्रयल करते हैं । छोटे छोटे दल जिनको वड़ी संख्या मिलना कठिन है बड़े दु्ों में मिल जाते हैं । यह दुल राष्ट्रीय विषयों पर अपना अपना सत प्रकट करते हैं । ये सदेव सास्प्रदायिक, लाभ ( 56८घ००४1 उतधट९5६5 ) की. चिन्ता से तत्पर रहते हैं । जब तक दुल राज्य व्यवस्था पर सत श्रकट करते रहेंगे उस समय तक अधिक दुलों की उत्पत्ति नहीं होगी । साम्प्रदायिक सतभेद होते ही भधिक दलों की सृष्टि हो जाती है । जिन देशों का शासन विधान हस आप के सामने रख रहे हैं उनमें उदार दूछ ( [.1967815 ) या. संकीण दुछ ( (0०75८/ए2६19९५ ) का अन्तर नहीं है वरनू सौदागरों ( 98०पघ्ट€०४ ) व साम्यवादियों ( 500213505 ) का हे। पूर्वी युरप में कृषक दुल ( 82205 ) भी हैं । पहली पार्टी में तो पूँजीपति, जमींदार, कर्स- चारी, तथा अन्य व्यवसायी हैं । दूसरे दल में क़पक, तीसरे में सज़दूर और अन्य लोग हैं । परन्तु उदार दुल और संकीर्ण दुछ में सदेव परस्पर विरोध रहता है । जसनी में संकीण दुछ राष्ट्रीय दल ( ऐरंघघंणपकिड गि९०9165 घटा ) है जो कि बेघ राजतंत्र, शासन ( (0००5घ६०८००४1 ०0270ए ) चाहता है । इसी दल के नास अन्य देशों में भिन्न भिन्न हैं । यह संकीर्ण दल वाले घासिंक विचार के हैं और केथोलिक मत के अज्लुयायी हैं और गिर्जा व 'स्टेट' ( राज्य ) का संगठन चाहते हैं । परन्तु जर्मनी निवासी महात्मा लूथर ( 1.०८५८४ ) के पक्षपाती हैं ।




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