प्राचीन भारतवर्ष की सभ्यता का इतिहास भाग २ | Prachin Bharatvarsh Ki Sabhyata Ka Itihas Bhag-ii

Book Image : प्राचीन भारतवर्ष की सभ्यता का इतिहास भाग २ - Prachin Bharatvarsh Ki Sabhyata Ka Itihas Bhag-ii

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about सर रमेशचंद्र दत्त - Sir RameshChandra Datt

Add Infomation AboutSir RameshChandra Datt

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
अ ३ ... हिनुओं का. फलाव १५ था आर उनसे यह भो विदित होता हे कि हिन्दू लोग तीन श्रेणियाँ में विभाजित थे जोकि सत्कार की मिन्न भिन्न दृष्टि से देग्वी ज्ञाती थीं । पदिली श्रेणी के क्ोग श्रार्यावर्च में रहते थे जो कि सरस्वती से लेकर बिददार की सीमा तक श्रौर हिमालय से लेकर विन्प्याचल पर्वत तक था | यद्द चात विचित्र है कि पजाव जो कि चेदिक समय में श्रायों का सच से प्राचीन निचासस्थान था वह आर्यावर्त में सम्मिलित नद्दीं दे । यह देश तव से पीछे के समय में हिन्दुझी के धर्स्म और सभ्यता की उन्नति में पिछडता रद्द है और उसका उल्लेख पेतिंदासिक काप्य काल के श्रन्थों में भी बहुत ही कम पाया जाता है | दुसरी श्रेणी के लोग जोकि मिश्रित जाति के कद्दे गए है उस देश में रदते थे जिसमें कि दक्षिणी पंजाब सिंध गुजरात मालवा दक्षिण शरीर दक्षिणी और पूर्वी पिह्ार सस्मिलित ह.। यदि पाउकगण हमारे दूसरे काणएड के चौथे श्रध्याय को देंगे तो उनको चिदित दोगा कि ये चद्दी देश हैं जोकि पेतिददासिक काप्य काल के अत में हिन्दुओं को बहुत थोड़े झश में मालुम होते जाते थे । दार्श निक काल के प्रारस्भ में वे हिन्दुओं के देश दो गए. थे श्र हिन्दुओं का अधिकार सौर उनकी सभ्यता फा प्रचार इनके आगे के उन अन्य देशी में भी दोने लगा था जिनके निवासी तीसरी श्रेणी को समके जाते थे । इस तीसरी था श्रन्तिम श्रेणी के देश में पंजाब में झारत्त लोगों का देश उड़ीसा पूर्वी ओर उत्तरी घगाल ओर दल्षि शी भारतवुपं के कुछ भाग सम्मिलित हैं । इन देशों में जो लोग यात्रा करते थे उनको अपने पापी का घायश्ितत फरने के लिये यज्ञ करना पडता था । यदद ईसा के पहिले छुठों शताब्दी के सममर हिन्दुओं के देश की सब से अन्तिम सीमा थी । दक्षिणी भारतवर्ष के भागों मे इस समय तक हिन्दू लोग केचल बसही नहीं गए. थे परन्तु ये देश हिन्दूराज्य शरीर न्याय और विद्या के समप्रदाय के सुख्य स्थान दो गए थे जैसा कि घौडायन क लिपने से विदित होता है । दौद्धयन स्वय कदालित्‌ दक्षिण का रदनेवाला हों कम से कम घचह दक्षिणी मारतवर्ष की विश चालग्यवहारं सीर शीतियो का सावधानी से वर्णन करता है - दम उसका पक वाक्य उद्धृत कर्रगे--




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now