अंक विद्या ज्योतिष | Ank-vidya jyotish
श्रेणी : ज्योतिष / Astrology
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.03 MB
कुल पष्ठ :
190
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about गोपेश कुमार ओझा - Gopesh Kumar Ojha
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अंक विद्या रहस्य श्भ मूल-ग्रक की सख्या शुभ जीवेगी श्रोर उसकी विद्वेष मित्रता भी € मुल-प्रक वाले व्यक्ति से होगी । नाम श्रौर संख्या --नाम श्रौर जन्म-तारीख या यह कहिये कि व्यवित वस्तु और सख्या में जो है उसी कारण किसी व्यक्ति के जीवन में या यो कहिये किसी राष्ट्र के जीवन में किसी सख्या विज्षेष का महत्व हो जाता है । इसको हम केवल कल्पना या सयोग कह कर नहीं टाल सकते । श्रागे के प्रकरणों मे इसके श्रनेक उदाहरण दिये गये है । मकड़ी जाला बुनती है--बुनते समय कोई क्रम दिखाई नहीं देता परन्तु बनने पर क्रम नज़र आता है। मधु मक्खियाँ छत्ता बनाती है बाहर से कोई क्रम नजर नहीं भ्राता परन्तु भीतर कितना श्रधिक आर सुक्ष्म क्रम रहता है यह केवल इस विषय की पुस्तकों को पढने से ही मनुष्य जान सकता है । कहने का तात्पयं यह है कि जेंसे एक बच्चे की दृष्टि मे-- डाक्यि के हाथ की सब चिट्ठियाँ एक सी मालूम होती हैं परन्तु डाकिया उन्हे मकान के नम्बर श्रौर नाम के क्रम से बॉट देता है उसी प्रकार हमारा जीवन--प्रत्येक का भिन्न-भिन्न अंकों के क्रम से चलता है श्रौर जब वह सख्या --उस सख्या का द्योतक वर्ष या दिन झ्राता है तो हमारे जीवन मे महत्त्व पूर्ण घटना होती है । इस श्रंक-विद्या का पूरी तरद उद्घाटन करना सभव नहीं । भगवत् गीता में १८ भ्रध्याय ही क्यों है महाभारत मे १८ पे ही क्यों.? १८ पुरारणों की-सख्या का वैज्ञानिक श्राधार क्या है ? इस १८ की योग संख्या पपल्त है । यह क्यों ? हमारे ऋषि मुनि दिव्य ज्ञान श्रौर कऋतम्भरा प्रज्ञा के कारण जो पद-चिह्न छोड़ गये हैं हम तो केवल
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