पुत्र | Putra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
252
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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डिलनी सम्ताग बो प्राटसया सनुर्प को हैं उठती बदाधिएं
हो डिसी को सोड थो होगी 1
*ुध शर्द में सारा, सरोसा, मैरर्रिक प्रेस, रयाग
कौर मोइ न मालूम दितने घर्थ, बितने साय मरे पढ़े दें ।
इसडा धारण अररप इो बुत गरभीर इोना चाहिए । भौर
चइ बैसा दी है भी । सर वन ही देश, छाति और समाथ
थी अर्य सम्पत्ति, खजस्त सौरव अर सामुदिक थोदन का
चिन्द हैं । इसीलिये शाय्ों में इसकी भारी सदिसा गाई
आई है । मगदानू पतशब्षि 'घरक संदिसा में दिखने हिं कि -
''द्च्दायरचैक शन्यरण निप्द्लश्च यथा हुमः ।
'घनिष्ट गरघरसर' निरपस्यम्तथा मर: !।
कऋपतिष्टरघ सग्तरच शून्यरसीकेरिद्रयरचना ।
मस्तग्पोी निरयर्चव भम्यापग्यं न विद्ते ॥
चडुमूतिवंदुगुणों धदुम्यूदो बट विस: ।
शहु्घधवदुर्शानों धद्धारसा च बहु प्रज: ॥
माहरयोप॑ म्रास्तो श्य॑ पम्योय॑ थीयेंवानयम् ।
धहु शासोश्यमिति थे. स्तूयते सा घहु प्रजा: ॥
ीसिवंल॑ सुर बृसतिविर्ताये विभव, छुलम् ।
यशो क्लोवा: सुख दुर्कास्तु्टरचापत्य संकिसा ।
सस्मादपत्य मन्वि्दुन्गुणाश्दापत्य संखितान ॥”'
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