पुत्र | Putra

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Putra by आचार्य चतुरसेन शास्त्री - Acharya Chatursen Shastri

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about आचार्य चतुरसेन शास्त्री - Acharya Chatursen Shastri

Add Infomation AboutAcharya Chatursen Shastri

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
स्ए्प्ण्फ्ण्ण्घछ्ण्ण्ण्ण्ठ्ण्घछघ0006000000000000घ0 डिलनी सम्ताग बो प्राटसया सनुर्प को हैं उठती बदाधिएं हो डिसी को सोड थो होगी 1 *ुध शर्द में सारा, सरोसा, मैरर्रिक प्रेस, रयाग कौर मोइ न मालूम दितने घर्थ, बितने साय मरे पढ़े दें । इसडा धारण अररप इो बुत गरभीर इोना चाहिए । भौर चइ बैसा दी है भी । सर वन ही देश, छाति और समाथ थी अर्य सम्पत्ति, खजस्त सौरव अर सामुदिक थोदन का चिन्द हैं । इसीलिये शाय्ों में इसकी भारी सदिसा गाई आई है । मगदानू पतशब्षि 'घरक संदिसा में दिखने हिं कि - ''द्च्दायरचैक शन्यरण निप्द्लश्च यथा हुमः । 'घनिष्ट गरघरसर' निरपस्यम्तथा मर: !। कऋपतिष्टरघ सग्तरच शून्यरसीकेरिद्रयरचना । मस्तग्पोी निरयर्चव भम्यापग्यं न विद्ते ॥ चडुमूतिवंदुगुणों धदुम्यूदो बट विस: । शहु्घधवदुर्शानों धद्धारसा च बहु प्रज: ॥ माहरयोप॑ म्रास्तो श्य॑ पम्योय॑ थीयेंवानयम्‌ । धहु शासोश्यमिति थे. स्तूयते सा घहु प्रजा: ॥ ीसिवंल॑ सुर बृसतिविर्ताये विभव, छुलम्‌ । यशो क्लोवा: सुख दुर्कास्तु्टरचापत्य संकिसा । सस्मादपत्य मन्वि्दुन्गुणाश्दापत्य संखितान ॥”' 0000० ००७७०. ०००४०००७७०००००००७००८०००० प्ू




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now