सद्धोंधमार्तड | Saddhodhamartand
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
444
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about मुन्नालाल काव्यतीर्थ - Munnalal Kavyateerth
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जि
नरकरममे जन्म ढेता, कभी हीनकुल वाले मनुष्योंमें जन्म
लेता, कभी भवनवासी आदि देवपयाय धारण करता हैं ।
अत्यन्त झुभ कर्मका उदय , आधे तो मनुष्य प्यायमें
उच्चझुमें जन्म पाता है, इसे तरहसे एकेन्द्रियसे पंचोन्द्रिय
तककी पयायका पाना बडा दुर्लभ है !
ड ग्रदन-- इन्द्रियां कितनी और कौन २ सी होती
उत्तर- इन्द्रियां पांच होती हैं, उनके नाम- स्पेन,
रसना, प्राण, चक्षु और कण हैं ।
प्रशन- इन जीवोंके प्राण, संज्ञा, पयोप्ति और उपयोग
कितने २ और कौनसे होते हैं १-
उत्तर- इन जीवोंके एकेन्ट्रियसे पंचेन्द्रिय तक नाच
लिखे अनुसार १० प्राण तक होते हैं । एकेन्द्रियके पर्याप्त
दुदयामें चार प्राण होते हैं-स्पशनेन्द्रिय, कायवल, श्रासो-
च्छवास और आयु ।
द्विइंद्रियके--पहिले कहे हुए चार प्राणोगें रसना
इत्द्रिय और बचन बल और बढ जानेसे छह प्राण होते हैं
ये भी प्याप्त द्ामें होते हैं ।
त्रीत्ट्रियेके-घाणेस्द्रियके बढ जानेसे सात प्राण
चहुरिष्द्रियके-चक्षु इर्द्रियके बढ जानेसे आठमाणदोते हैं।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...