सद्धोंधमार्तड | Saddhodhamartand

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Saddhodhamartand by मुन्नालाल काव्यतीर्थ - Munnalal Kavyateerth

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जि नरकरममे जन्म ढेता, कभी हीनकुल वाले मनुष्योंमें जन्म लेता, कभी भवनवासी आदि देवपयाय धारण करता हैं । अत्यन्त झुभ कर्मका उदय , आधे तो मनुष्य प्यायमें उच्चझुमें जन्म पाता है, इसे तरहसे एकेन्द्रियसे पंचोन्द्रिय तककी पयायका पाना बडा दुर्लभ है ! ड ग्रदन-- इन्द्रियां कितनी और कौन २ सी होती उत्तर- इन्द्रियां पांच होती हैं, उनके नाम- स्पेन, रसना, प्राण, चक्षु और कण हैं । प्रशन- इन जीवोंके प्राण, संज्ञा, पयोप्ति और उपयोग कितने २ और कौनसे होते हैं १- उत्तर- इन जीवोंके एकेन्ट्रियसे पंचेन्द्रिय तक नाच लिखे अनुसार १० प्राण तक होते हैं । एकेन्द्रियके पर्याप्त दुदयामें चार प्राण होते हैं-स्पशनेन्द्रिय, कायवल, श्रासो- च्छवास और आयु । द्विइंद्रियके--पहिले कहे हुए चार प्राणोगें रसना इत्द्रिय और बचन बल और बढ जानेसे छह प्राण होते हैं ये भी प्याप्त द्ामें होते हैं । त्रीत्ट्रियेके-घाणेस्द्रियके बढ जानेसे सात प्राण चहुरिष्द्रियके-चक्षु इर्द्रियके बढ जानेसे आठमाणदोते हैं।




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