वेदी का फूल | Vedi Ka Phool

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : वेदी का फूल  - Vedi Ka Phool

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about निर्गुण - Nirgun

Add Infomation AboutNirgun

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
श्रद्धा के दो फूल १७ दिन-रात, सुख-दुग्ख नहीं देखती और सदैव अपने लक््य की ओर जागरूक रहती है। प्रताप की महत्ता एक निश्चित उद्देश्य के लिए अपना जीवन अप कर देने में है । उनकी महत्ता उस दृढ़ निश्चय में है जो केवल अपना काम करना चाहता है, सफलता-अ्रसफलता का अज्ञगणित नहीं जानता । ': आज जब हमारे सामने सेवा का महान्‌ राज-मार्ग फैला हुआ है और जब समाज की त्रस्त एवं बन्धनों में जकड़ी शक्तियाँ हमारी मनुष्यता से साहस की भीख माँगती हैं; जब हमारे चारों ओर एक किशेंखल समाज, जिसकी शक्तियाँ महान हैं, जिसका अतीत अन्धकार में चमकता है, फेला हुआ हमारे सेवा-भाव को, हमारे साहस को, हमारे आत्मो- त्सर्ग को चुनौती देता है, तव उस महावीर से हम कुछ सीखना चाहते हैं। हम उनसे उनका वह तीकण भाला यहर करना नहीं चाहते जो कभी शत्रु-सेनापति की अम्वारी से टकराता था तो कभी किसी आकमसकारी के . कलेजे में घुसकर अपनी प्यास बुख्ाता था । हम तो आज उनकी 'उत्त लगन, उस पागलपन, उस हढ़ता को अहण करना चाहते हैं जो आदि से अन्त तक उनके जीवन में ओतप्रोत है और जो हमारे सामने आत्योत्तर्ग का वह आदर्श रखता है जिसके थिना कोई सेवा, कोई सुधार, कोई महान्‌ कार्य सम्भव नहीं है। ओर आज जब समाज की, देश की, संसार की अवस्था




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now