एक धर्मयुद्ध | Ek Dharmayuddha
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
137
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्ड
सकती हि । अतएव गांधीजी ने निश्चय किया. कि वे. भुढसर
फेम का बे
इस संकट को टालने या यत्त करेंगे । श्र
बन ही
गाँधीजी ने अहमदाबाद पहुँचकर मजदूरों और मिलएजन्टों
फी स्थित्ति और इट्रि को समझना झुरू किया । उन्होंने देखा कि
पिछले अगस्त से चुनाई पिभाग के मजदूरों को मनचाहा. ' प्लेग
बोनस * मिल रहा था । रस वानस के लाभ से बुनाई विभाग
के यहूत से मजदूर, जो साधारण ठजा में प्लेग के कारण अहमदाबाद *
छोड़कर चले जाते, अपनी जान को खतरे में डालकर मी मिलों से
चिपटे हुए थे । जांच करने से माकम हुआ कि वई मामलों में तो
यद ' प्लेग बोनस * मजदूरों को उनकी मजदूरी के अलावा करीब
७० -८० फीसदी क्यादा दिया जाता था । और चूंकि प्टेग दन्द होने
पर भी अनाज, कपडे और रोजमर्रा के इस्तेमाल की अन्य चीज़ों के
दाम पढ़ले मे दुगने, तिगुने और कहीं-कद्दी चौगुने तक हो गये
थ, यह 'चोनस जारी रहा था ।
उस चानस को एकाएक बढ कर बने के मिलमालियो के
निधय से घुनाई विभाग के मजदूरों में काफी खलवली मची थी 1
श्री० अनमृयाव्दन से मिलकर ये. रोज अपना असंतोष उनके
सामने प्रकट करने लगे थे । अग् थे “'प्लेग बोनस के लजाय
महँगाई का कम से कम ५०४ फ़ोसरी भत्ता चाहते थे 1 गांधीजी ने
जहमदावाद पहेचकर सं के खास-खास मिलएजन्टों से चातचीत शुरू
मी । मे जोग भी रस प्रश्न को सुलसाने की उन्पुकता प्रकट करने
लगे । गांधीजी ने अबतक दस पगडे में सीधा भाग लेने का निदयय
नहीं विया था 1 घर हालत दिन-य-दिन ना लुक होती ज्य रही भी 1
सरकार के पास भी सारा मामला पहुंच घुस था, और सा० ११
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