रसायन - प्रवेशिका | Rasaayan Praveshikaa

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Rasaayan Praveshikaa by साधुराम एम. ए - Sadhuram M. A

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पहला अध्याय प्रकृति ( उत५007' ) तथा भौतिक पदार्था ( पाता५ापत। 0००७5 ) का मापन प्रकृति--जिस सामग्री ( 108007781 ) के पदाथ बने होते हैं उसको प्रकृति कहते हैं । प्रकृति में वे सभी पदार्थ आ जाते हैं जिनका ज्ञान हमें गन्ध, रस, स्पर्श आदि की इन्द्रियों द्वारा होता है । कई भोतिक पदार्थ हमारे दृष्टिगोचर भी नहीं होते, कितु उनके हिंलने जुलने से उनका ज्ञान स्पर्शन्द्रिय से हो जाता है, जसे वायु | भोतिक पदार्थों का परिमाणु ( 8250 ) होता है, इसलिये वे स्थान ( 800806 ) घेरते हैं । उनका भार ( ४८816 ) भी होता है | प्रकृति की तीन अवस्थाएँ ( «८४८०४ ) होती हैं, सान्द्र ( 8010 ), तरल ( | पुपांत ) और बाति ( 288 ) | सान्द्र प्रकृति के पदार्थों का आकार ( 80 त706 ) सुनिश्चित ( त८०५िए0० ) होता है, जिसमें सरलता से परिवतन नहीं हो सकता, यथा लकड़ी, लोहा; पत्थर आदि | तरल आर वातियों को प्रवाही ( शपांत5 ) कहते हैं, क्योंकि बहुत थोड़ा बल (10700 ) लगाने से भी वे एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवहण ( 10+7 ) कर जाते हैं | तरलों का अपना कोई निश्चित आकार नहीं होता किन्तु इनकी परिमा ( ४0107016 निश्चित होती है । जिस पात्र में इनको डाला जाए उसीका आकार धारण कर लेते हैं | ऊपर से इनका तंतत ( ५1117 8.00 .) सम ( (2४९11 ) रहता हि, जसे जल, तेल 'प्रादि | वातियों का भी अपना कोई श्याकार नहीं होता । जिस पात्र में इनको डाला जाए उसी ब्माकार की हो जाती हैं, किन्तु भेद इतना है कि पात्र चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो ये उसे संपूणण भर देती हैं | इनकी परिमा सीमित ( !111000 ) नहीं होती । सब से सुलभ आर सुपरिचित ( 10011. / वाति हमारे झासपास की वायु है | प्रवाही छोटे से छोटे छिद्र में भी प्रवेश कर जाते हैं, इसीलिये पत्र पर डाला हुआ पानी रन्त्रो' ( [07९85 ) में घुस कर पत्र को गीला कर देता है | एक ही प्रकार की प्रकृति भिन्न भिन्न परिस्थितियों ( ०००७तांघं०08 | में तीनो रूप धारण कर सकती है, जसे पानी हिंम बन कर सान्द्र हो जाता है झौर भाप बनने से वाति का रूप धारण कर लेता है | मापन ( 11८8.5पाए0 ए ) -- विज्ञान ( 50610 )) में मापने के लिये दशमिक मान-क्रम ( ए1८0५0 52 को प्रयोग में लाते हें | पेरिस में एक माप-दृर्ड ( ह1८8.3पतप002 700 रखा हुआ है जिसकी लम्बाई को एक मान ( 70०४० ) कहते हैं | यद्द दण्ड द्शमिक मान-क्रम का आधार ( 08४58 ) है | छोटी लम्बाइयों को मापने के लिये इस मान का द्शमिक ( त८०ंता81 ) क्रम से विभाजन ( ताएं00 ) किया जाता है श्र बड़ी लम्बाइयों के लिये उसी क्रम से गुणन ( 00 प1901108907 ) किया जाता है | श




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