हिन्दू गणित शास्त्र का इतिहास भाग 2 | Hindu Ganit Shastar Ka Itihas Bhag 2

Book Image : हिन्दू गणित शास्त्र का इतिहास भाग 2  - Hindu Ganit Shastar Ka Itihas Bhag 2

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about भगवती शरण सिंह - Bhagavati Sharan Singh

Add Infomation AboutBhagavati Sharan Singh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
अध्याय १ १. प्राचीन भारतवर्ष की एक भलक भारतवर्ष के प्राचीन इतिहास का विद्यार्थी हिन्दुओं की उस विस्मयजनक उन्नति को देखकर विमुग्ध हो जाता हैं जो उन लोगों ने, कला और विज्ञान दोनो क्षेत्रों में, अत्यन्त प्राचीन काछ में सुसम्पादित कर लो थी। मोटेनजो-दडो में (पुरातत्व सम्बन्वी खुदाई के फलस्वरूप) किये गये अनुसन्धानो से पता चलता हैं कि ईसा के लगभग ३००० वर्ष पूर्व सिन्थु देश के निवासी, हिन्दू लोग, ईंटो के मकान बनाते थे, नगरो का नियोजन करते थे, सोना, चाँदी, ताँबा और जस्ता आदि घातुओ का प्रयोग करते थे, तथा अत्यन्त सुव्यवस्थित जीवन व्यतीत करते थे। प्राचीनतम उपलब्ध ग्रन्थ, वेद (लगभग ३००० ई० पू०, अथवा सम्भवत इससे अधिक प्राचीन), यद्यपि विशेषकर देवताओं के गृणगान अथवा वन्दना-मात्र है, तो भी उच्च सम्यता के द्योतक है। वेदों के बाद का ब्राह्मण साहित्य (लगभग २००० १००० ई० पू०) अशत धघामिंक और अदयत दा्दनिक हैं। इन ग्रन्थों मे आध्यात्मिक, सामाजिक, एवं धर्भमिक दर्शन की भली भाँति विकसित पद्धतिया तया आधुनिक सभ्यता के निर्माण मे सहायता प्रदान करनेवाली अधिकाझा कलाओ और विज्ञानों के बीज दृष्टिगोचर होते है। ओर इन्ही ग्रन्थों मे ही हमें गणित (अकगणित, क्षेत्रगणित और बीजगणित आदि) तथा गणित ज्योतिष का श्रीगणेश मिलता हैं । इस ब्राह्मण काल के बाद लगभग २००० वर्ष से कुछ अधिक समय पथन्त भारतवर्ष अविच्छिन्न उन्नति एव महत्त्वपूर्ण कार्यों का क्षेत्र वना रहा । यद्यपि इस काल में अनेक विदेशी आक्रमण और आम्यतरिक युद्ध हुए तथा बहुत से राज्यों का उत्थान एव पतन हुआ, परन्तु मान- सिक उन्नति में कोई विच्छिनता नही आने पायी । इसका श्रेय थिगपकर हिन्दू समाज की व्यवस्था को है। विदेशी आक्रमणकारी बाधक नही सिद्ध हुए, वरन्‌ नया रक्त




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now