तसव्वुफ़ अथवा सूफीमत | Tasavvuf Athava Sufimat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
301
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उद्धव
पुन समझा ।. इस प्रकार स्वतः इसलामे में तसब्वुफ के सम्बन्ध में मतमेद
रहा । कभी उसके विषय में मुसढिम एकमत न हो सके ।
: मुसलमानों के पतन के बाद मसीद़ियों का सितारा चमका । सूफियों भर मसीह
-सन्तों में बहुत कुछ साम्य या ही । मसीदियों ने उचित समझा कि सूफ्यों को
रद
चूरा नहीं तो कम से कम आधा तों अवंध्य ही मसीही सिद्ध किया जाय | निदान
होंने कदना झुरू. किया कि आरंभ के सूफी यूहनना वा. मसीह के शिष्य थे |
यादरसियों के छिये तो इतना कह देना काफी यथा, पर मत्ीद्ी मनीषियों को इतने से
संतोष न हो सका । उन्होंने देखा कि जेसे कुरान की सद्दायता से तसब्चुक इसढाम
' का प्रसाद नहीं सिद्ध दो सकता बसे ही इंजील के आधार पर भी उसको मसीह्ी
मत का प्रसाद नहीं कहा जा सकता । तब:तसब्बुफ आया. कहाँ से १? आाय-उद्गम'
तो उनको रचिकर न था, फिर भी, उन्हें उन विद्वानों को दांत करना था जो तसे-
. च्युफ को आयं-संस्कार का अभ्युव्यान वयथवा वेदांत का मघर गान समझते थे |
: अर, उन्होंने नास्टिक और मानी मत के साथ ही साय नव-अफलाचूनी मत
की शरण ली | अंतर नव-अफलातूनो-मत की. सद्दायता से उन प्रमाणों का निराकरण
:. किया गया जिनके कारण तसब्बुफ भारत .का प्रसाद समझा जाता था । किंठु जब
. उससे भी पूरा न पढ़ा तंत्र विवश हो, इतिदास के आधार पर, चाद के सूफियों पर
जारत का प्रमाव मान लिया यया- और तसब्युझू अंशतः प्राचीन शाय-संत्कृति का
सभ्युव्यान सिद्ध हुआ । दर था
तो भी मुसलिम साहित्य के ममज्ञ पंडितों के “सामने सूफीमत के उद्भव -
का प्रंदन बराबर बना रहा ) . अन्त में उनको उचित जाने. पढ़ा कि इसलाम की
: माँति दी उसको भी कुरांन का मत मान लिया जांय । निदान, निकल्सन तथा
. जाउन सह - मम्ों ने - दूफीमत का मूल:स्ोत. कुरान में . माना । माना, कि
कुरान में कतिपय स्थल सूफियों के सवंया .मेनुकूल हैं और उन्हीं के आधार एर
के.
(१) एछिटिरेरी हिस्टरी आव 'पर्दियां, प्र० ३०१) प्र की है की
(२) ए छिटेरेरी हिस्टरी भाव दी मरबू्स, पूं० रई |
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