भारत सावित्री [आदि पर्व से विराट पर्व तक ] | Bharat Savitri (Aadi Parv Se Virat Parv Tak)
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
366
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भारत-साकित्री
शतसादखी दिस
नारायण नमस्कृत्य नर चेव नरोत्तममु ।
देवीं सरस्वतीं चेद ततो जयमुदीरयेत् #
नारायण, नरो में श्रेप्ठ नर, तथा देवी सरस्वती को नमस्कार करके
जय का आरम्भ करना चाहिए ।
महाभारत इस देश की राष्ट्रीय ज्ञानसहिता हैं । सदा उत्यानशील
कुप्णद्वपायन वेदव्यास ने विश्याला वदरी के एकात आश्रम में वैठकर
भारतीय ज्ञान-समुद्र का अपनी विक्षाल वुद्धि से मन्थन किया, जिससे
महाभारत-रूपी चन्द्रमा का जन्म हुआ । जिस प्रकार समुद्र और हिमालय
रत्नों की खान हैं, उसी प्रकार यह महाभारत है। जो इसमें है, वही
सन्यत्र मिलेगा, जो यहा नही है, वह अन्यत्र भी नही । व्यास का वाडमय-
रूपी अमत भारत राष्ट्र में व्याप्त है। वेदनिषि हपायन का यह महामारत-
रूपी कम गगा की अन्तर्वेदी में विकसित हुमा सुरभित पुप्प है । ठोको को
पवित्र करनेवाले इस महाकवि नें अपनी क्रातिदर्धिनी प्रतिभा से शाइ्वती
वुद्धि का जो महान प्रज्ञा-स्कघ स्वापित किया, वही महामा'रत है ।
अनन्त वेद-वृक्ष की छाया में वैठकर व्यास ने समग्र छोक-जीवन के
आरपार देखनेवालें अपने प्रातिभ चक्षु से वेद और लोक का अपूर्व समन्वय
महाभारत में प्रस्तुत किया है । परम ऋषि हैपायन का यह श्रेप्ठ आख्यान
विलक्षण झव्द-मडार से भरा हैँ, जिसमें आदि से अन्ततक सौ पर्व है। सूक्ष्म
ने और न्याय से युक्त, वेदार्थों से अलकृत, नाना शास्त्रों से उपवृह्घित,
विलज्ण रचना-कोशल से सस्कार-सपन्न, भारत के इतिहास और पुराण
की ग्राह्मी सहिता का ही नाम महाभारत है, जो आयन्त धर्म से युक्त है ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...