महाभारत के प्रेरणा प्रदीप | Mahabharat Ke Prerana Pradeep

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Mahabharat Ke Prerana Pradeep by देवेन्द्र मुनि शास्त्री - Devendra Muni Shastriश्री पुष्कर मुनि जी महाराज - Shri Pushkar Muni Maharaj

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श्री पुष्कर मुनि जी महाराज - Shri Pushkar Muni Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मंगलाचररा| . ... दोहे . ऋषभ जिनेदवर से मिले, जीवन-सुत्र विशेष । जिससे हम सब बुन रहे, जीवन-वस्त्र हमेश ॥। चलती है वर्णावली, लेकर आदि अकार । भआदिनाथ अवतार को, सब करते स्वीकार ॥। एक बिना चलता नही, आगे. कोई अक । आदि जिनेश्वर धर्म की, आदि असुल्य निद्यक ॥। महापुरुष मरते नहीं, रहते अमर हमेश । चलते उनके नाम से, धर्म और उपदेश ॥। हुआ महाभारत कभी, फिर भी प्यारा ग्रन्थ । भारतीयता का हमे, दिखलाता नव-पंथ ॥। त्याय और अन्याय का, दिगू-दशन है स्पष्ट । लिये न्याय के भी यहाँ, सहा जा रहा कष्ट ॥। बुरी तरह होता न क्या, अन्यायी का अत । एक महाभारत हमें, देता. ज्ञान अनंत ॥। “मुनि पुष्कर” संसार का, है यह ग्रत्थ प्रसिद्ध । रुचि युत सुनते वांचते, बालक युवक प्रवृद्ध ॥।




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