महाभारत के प्रेरणा प्रदीप | Mahabharat Ke Prerana Pradeep
लेखक :
देवेन्द्र मुनि शास्त्री - Devendra Muni Shastri,
श्री पुष्कर मुनि जी महाराज - Shri Pushkar Muni Maharaj
श्री पुष्कर मुनि जी महाराज - Shri Pushkar Muni Maharaj
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
196
श्रेणी :
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देवेन्द्र मुनि शास्त्री - Devendra Muni Shastri
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श्री पुष्कर मुनि जी महाराज - Shri Pushkar Muni Maharaj
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मंगलाचररा|
. ... दोहे .
ऋषभ जिनेदवर से मिले, जीवन-सुत्र विशेष ।
जिससे हम सब बुन रहे, जीवन-वस्त्र हमेश ॥।
चलती है वर्णावली, लेकर आदि अकार ।
भआदिनाथ अवतार को, सब करते स्वीकार ॥।
एक बिना चलता नही, आगे. कोई अक ।
आदि जिनेश्वर धर्म की, आदि असुल्य निद्यक ॥।
महापुरुष मरते नहीं, रहते अमर हमेश ।
चलते उनके नाम से, धर्म और उपदेश ॥।
हुआ महाभारत कभी, फिर भी प्यारा ग्रन्थ ।
भारतीयता का हमे, दिखलाता नव-पंथ ॥।
त्याय और अन्याय का, दिगू-दशन है स्पष्ट ।
लिये न्याय के भी यहाँ, सहा जा रहा कष्ट ॥।
बुरी तरह होता न क्या, अन्यायी का अत ।
एक महाभारत हमें, देता. ज्ञान अनंत ॥।
“मुनि पुष्कर” संसार का, है यह ग्रत्थ प्रसिद्ध ।
रुचि युत सुनते वांचते, बालक युवक प्रवृद्ध ॥।
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