अर्थ शास्त्र की रूप रेखा | Arth Shastra Ki Roop Rekha
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
552
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पहला सध्याय
उर्थशास्र क्या है ?
मोदन रदता तो उन्नाव में टै, पर उसके चाचा प्रयाग में नोकर एं, इस-
लिए माघ के मद्दीने में चदद पनी मां के साथ चाचा के यहां या हुआ है |
उसकी मां मे घ-भर प्रिवेखी-संगम में प्रतिदिन स्नान करेगी । गत रविवार को
मोहन भी 'यपने चाचा के साथ चिवेशी-स्नान करने तथा वद्दां लगे हुए माघ
मेला को देखने के लिए गया था |
मेले के पास पहुँचने पर पदले मोहन को कृषि-यदर्शिनी दिखाई पढ़ी ।
उसने चाचा से कद्दा कि वद्द भी इसे देखेगा ।
प्रदर्शिनी के परटाल में जाने पर मोदन ने तरद-तरद की मशीनें देखीं |
साचा ने उसे बताया कि ये सब खेती करने के काम छाती हैं । मोहन को
कुएं से पानी खींचनेवाली मशीन श्रधिक पसन्द झाई । चहां की 'छन्य
वस्तुएं भी चद्द देखना चाहता था, पर चाना ने कद्टा कि स्वलो, पहले
गंगा जी नहा दावे, फिर लौटते समय इन सब चीज़ों को श्रच्छी तरद
देखना |
' बाँघ पर पहुँचते ही मोदन ने कई टलवाइयों की दूकाने' देखीं । छुयदद का
समय था | ताज़ी-ताज़ी जलेवी बनाई जा रही थी | कुछ लोग दूकान के पास
जलेवी खा रहे थे )
माघ का शुरू था | इसलिये ्रभी कुछ दुकानों पर माल नहीं छाया था |
वे खाली पढ़ी थीं । कुछ मज़दुर इधर उघर ज़मीन खोद रहे थे । मोहन
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