अरिस्तु की राजनीति | Aristu Ki Rajneet

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Aristu Ki Rajneet by श्री भोलानाथ शर्मा - Shree Bholanath sharma

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अरस्तू - Aristotle

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श्री भोलानाथ शर्मा - Shree Bholanath sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अरिस्तु की राजनीति प्‌ आरिस्तू का जीवनचरित अरिस्तू का जन्म ई० पू० ३६५-६४ मे हुआ था और वह ६२ वर्ष तक जीवित रहा । भारतीय इतिहास मे इस समय नन्द राजाओ का दासन-काल था । उसका जन्मस्थान स्तागिरा स्तागिरस्‌ नामक नगर था जो खाल्किदिक प्रायद्वीप मे स्थित था और आजकल स्ताब्रों कहलाता हे । यह नगर एक सामान्य सा छोटा नगर है । कुछ लोगो ने अरिस्तू को इस उत्तरी नगर का निवासी होने के कारण पूर्णतया ग्रीक चरित्र से युक्त नहीं माना है। पर उनकी यह धारणा ठीक नही है। स्तागिरा के निवासी शत-प्रतिशत सच्चे ग्रीक थे और वे यवन भाषा की एक उपभाषा बोलते थे । उसके पिता का नाम निकोमारवस्‌ था. और वह बैद्यो की पंचायत का सदस्य था । पिता के वशघर मेसेनिया से ई० पू० ८वी अथवा ७वी शताब्दी में स्तागिरा मे आ बसे थे । अरिस्तु की माता का नाम फ़ेस्तिसू था और उसके पूर्वज यूबोइया प्रदेश की खाल्किस नगरी से आये थे । जीवन के अस्त में अरिस्तु ने इसी नगरी में अपना निवासस्थान बना लियां था और यंही उसका दारीर छटा । अरिस्तू का प्रिता निकोमाखस मकदोनिया के राजा अमिन्तास द्वितीय का राजवेद्य और मित्र था । ऐसा अनुमान करना असभव नहीं हैं कि अरिस्तू का लड़कपन मकदोनिया की राजधानी पैल्लास में व्यतीत हुआ होगा + अरिस्तू ने जो अपने वैज्ञानिक जीवन मे भौतिक ब्रिज्ञान और जीवविज्ञात के क्षेत्र मे अधिक रुचि प्रदर्शित की इसका मूल इसी वैद्यकुल में जन्म होने और बाल्यकाल मे एक विख्यात के श्र्माव में रहने में छिपा हुआ है । ऐसा कहा जाता है कि इन वैद्यों के परिवारों मे. लडको।/ को जर्रही /का. काम बाढ़कपन से ही सिखाने की परम्परा थी । सभव है अर्स्त ने इस दिल्या मे अपने प्रिंता की सहायता भी की हो । दुर्भाग्यवदा अर्स्तू के लड़कृपन में ही उसके माता-पिता दोनो का /हीः शरीरान्त हो गया । पर ऐसा प्रतीक होता है कि उसके मातापप्तिता ते उसके छिए पर्याप्त सम्पत्ति छोड़ी थी । इस दुर्घदना के परचालू उसका एक सबधी . प्रौक्षेनसू उसका. सरक्षक .बना 4 प्रौक्षनसु ने.उसको १८ बर्ष की अवस्था. में लिक्षा क्ात्त करने के किए अथेन्स भेज दिया जो उस समय सारे में किक्षा और विद्ञा। का श्रेरंठ केन्द्रस्थान था । अरिस्तु ई० पू० से /अथस्स मा झा १० 7.7 अचेन्स में अरिस्तु ने पलातीन की अकादिमी सामेक शिक्षा संस्था में प्रवेदा किया । लगभग र९यां २०४ .वर्ष तक की मृत्यूं के समय तक अरिस्तू अकादेमी का




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