आधुनिक अर्थशास्त्र | Adhunik Earth Shastra

Adhunik Earth Shastra by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अर्थशास्त्र की परिभाषा भीर उसका क्षेत्र श्दे विशेषण लगा देते है तो उससे ऐसा अनुभव होता है कि कदाचित्‌ कुछ साधन असीमित भी है। परन्तु हम जानते हैं मनुष्य के पास कोई भी साघन असीमित मात्रा में नहीं है। प्रत्येक सावन को प्राप्त करने के लिए उसे कुछ न कुछ परिश्रम करना पडता है। कुछ साधनों को प्राप्त करने के लिए अधिक परिश्रम करना पडता है और कुछ के लिए कम । जिनके लिए अधिक परिश्रम करना पडता है वह अधिक सीमित हैं और जिनके लिए कम परिश्रम करना पढ़ता हैं वह कम सीमित हैं। उक्त विवेचन को ध्यान में रखते हुए हम कह सकते हैं कि सीमित विद्वेषण की कोई आवश्यकता ही न थी क्योकि प्रत्येक साधन सीमित मात्रा में ही होता हू। प्राय प्रो० रौविन्स ने इस विशेषण को प्रयोग इस कारण किया कि वह साधनों के सीमित होने पर विशेष वल देना चाहते थे । यहाँ यह वतला देना अनुचित न होगा कि रौविन्स द्वारा की गई सीमित की व्याख्या में कुछ चुटि है। रोविन्स के अनुसार यदि किसी वस्तु या साधन की पूर्ति माँग से कम है तो वह वस्तु या साधन सीमित्त है अर्थात्‌ वस्तु का सीमित होना उसकी मात्रा पर निर्भर नहीं है। इसको समझाने के लिए उन्होने ताजें और सडे अण्डो का उदाहरण दिया हू । ताजे अण्डो की मात्रा सडें अण्डो की अपेक्षा बहुत होती है तो भी वे सीमित होते है क्योकि उनकी मात्रा सब मनुष्यो की माँग से कम होती है इसी कारण कुछ परिश्रम और मूल्य देने पर ही ताजे अण्डे प्राप्त किए जा सकते है। सडें अण्डे चाहे दो या चार ही क्यो नहो परन्तु उनकी माँग शून्य होती है। इस कारण वे इतनी कम मात्रा में भी असीमित होते है। सीमित शब्द की यह परिभाषा चुटिहीन नहीं है। मान लीजिये कि आप एक कमरे में बन्द हो जिसमें हवा भानें का कोई रास्ता न हो। कुछ समय बाद ताजी हुवा की कमी के कारण आपका दिल घबडाने लगेगा चाहे कमरे के वाहर कितनी ही हवा क्यो न हो । रौबिन्स के अनुसार हम कह सकते हैं कि हवा सीमित्त नही है। परन्तु हवा प्राप्त करने के लिए आपको कमरा तोडकर बाहर आना होगा अर्थात्‌ परिश्रम करना होगा। इस कारण यह उचित होगा कि हम सीमित की व्याख्या इस प्रकार करे कि यदि किसी वस्तु या साधन को प्राप्त करने में परिश्रम करना पडता है तो वह सीमित है। यदि अधिक परिश्रम करना पड़े तो अधिक सीमित है यदि कम परिश्रम करना पड़े तो कम सीमित है। गंगा से पानी मुफ्त सिलता है परन्तु उसके प्राप्त करने में कुछ न कुछ परिश्रस करना पड़ता है--गगा के किनारे तक जाइयें भर झुक कर चुल्लू भर पानी उठाइये--इस कारण वह सीमित है । रौविन्स ने अपनी परिभाषा में कहा है कि प्रत्येक साघन के




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