व्यवहारिक ज्ञान | Vyawharik Gyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
28.31 MB
कुल पष्ठ :
784
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)असहयोग या तर्कें तअल्लुक श्३
लिये सुकसे ऋग इते.हैं। घन यह है कि मै पहलेहीसे सुर
माल था फिसी भो .मालके। चहिषकार विरुद्ध हू ।. पर
वहां 'चहिप्कार शब्द्फे : मानी . और हैं” और । दें पूर्ण
चिचारके वाद आगामो नई को खिलोंके च हिप्कार को मत स्वी क़ार
कर रहा हूं । * और वह क्यों १? समुदाय नेता ओंसे
अच्छा नेतृत्व. चाइती ' है, ढुमानी .बारतें नहीं 'याहतो 1. '-पदले
को खिलोंके 'लियें चने जाना और, फिर चहां सौगन्ध न खानी
इससे जनताक्रा नेता ओंमें अविश्वास हो: ज्ञायगा । ' यद' बात
लोगों री: स मममें नहीं आती । उंदरे प्रजामें चुद्धिसेद हो जायगा,)
में आपको इस बचनेकी - सलाह देता हू । . पहले चुने
जाकर कीं सिलमें नानेके याद वहां सौगन्थ लेनेसे कर-.
नेकी रोनि: स्वीकार करनेसे हम अपने हाथों देश को: वेंच देंगे |
आपके चुरा लगेगा: ' छेकिन में खुडे हृदयसे कहू गा ज़ितने
हिन्दुस्तानो आज नौं।सलमें जाकर न लेनिकी वात 'कह
रहे. हैं, मुझे भरोसा नहीं “कि थे ऐसा कर सकेंगे। . ऐसा
करने हो. इच्छा .'रखनेवालोंको में सावधान कर रहा
अपने: लिये तथा 'उसी घ्रकार - प्रजाफे, लिये « जाल चुन रहे हैं।
और उसमें वे. यह मेरी अपनी राय है । मैं ते मानता
_ हूं कि प्रजाको ठीक ठीक साफ रास्तेसे खे' जाना चाहिये, अगर
इस महान :ज्ञातिके:. साध आप -दिलमगी नहीं करना: चाहते ते!
जवत॒क हिन्दुस्तान पर किया हुआ यह डबल अन्याय दूर नहीं
होता, तब्रतक , सरकारकी ; तरफसे चाहे . जितनी बड़ी -झपाको'
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