आज़ादी के रोड़े | Ajadi Ke Rode

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Ajadi Ke Rode by हजारीप्रसाद द्विवेदी - Hajariprasad Dvivedi

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हजारीप्रसाद द्विवेदी (19 अगस्त 1907 - 19 मई 1979) हिन्दी निबन्धकार, आलोचक और उपन्यासकार थे। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म श्रावण शुक्ल एकादशी संवत् 1964 तदनुसार 19 अगस्त 1907 ई० को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के 'आरत दुबे का छपरा', ओझवलिया नामक गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री अनमोल द्विवेदी और माता का नाम श्रीमती ज्योतिष्मती था। इनका परिवार ज्योतिष विद्या के लिए प्रसिद्ध था। इनके पिता पं॰ अनमोल द्विवेदी संस्कृत के प्रकांड पंडित थे। द्विवेदी जी के बचपन का नाम वैद्यनाथ द्विवेदी था।

द्विवेदी जी की प्रारंभिक शिक्षा गाँव के स्कूल में ही हुई। उन्होंने 1920 में वसरियापुर के मिडिल स्कूल स

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आजादीके रोड़े धरना रु जीवन-शुक्ति भारतवर्पका इतिद्दास अगर सच कहा जाय तो निरन्तर दोनेवाछे विदेशी आक्रमणोंका चूफानी-इतिदास है । आज जो जाति भारतवपंको अपनी भूमि पितुभूमि और धर्मभूमि कदनेका दावा करती है यानी आर्य जाति--- चह्द भी तो भारतवर्षमें बादरसेदी आकर आवाद हुई दै. और यह्दाकी आदिम जाति कोल-मिल्लों तथा हवि्णोंको पराजित कर उन पर अपनी सास्कृतिक- भ्रमुता स्थापित कर उनके भस्तित्वको मिटा दिया है । आयोके पहले इस देशामें बसने बाली आदिस जातिकी सभ्यता एव सस्कृतिं आज अधकारमें छत डे । आयौने उस जातिको अपनेमें इस तर्‌द मिला लिया है कि सिन्न उनका अपना कोई अ्ग अस्तित्व नहीं रद गया है। कुछ इतिहासकारोंका कददना है कि भायंजाति दिन्डस्तानमें इसी सनसे दो दजार वर पू्व॑ आर थी ।




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