साहित्यिकों से | Sahityikon Se

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Sahityikon Se by विनोबा - Vinoba

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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है. साहिन्िकों से भागा हा ; दूम्पि' सह सस्मा यहीं पर सार महीं होती, परन्तु एस. द्रिमाल टेस्सी को दिल्ली है । बुनियाद को कई नड़ों देखता । सब ऊपर झा सकाम उन्यते * ! गनियद के पत्थरों को अपनी महिसा होती है फिर भी को यह सहीं कहता कि इस मकाम को घुनिपाद कितनी अच्छी है महान पाँच से साल पुराना हो, हों दाएयद लोग उसकी ुियाद को आर पान देगो 1 लेकिन आज तो ऊपर की चीजें ही देखी जाली है । जिनके नाम इस जानते हैं. थे जगनू हैं, थे जुगनू के जले हों है जप जिनके माम हम नहीं जानतें हैं, वे ज्योति जेसे होते हैं । मैंने रवीस्द्रनाय ठाकुर का नाम लिया था ! परन्तु कई महान व्यक्ति ऐसे हों. अनामिक रह गये | मध्य कप्पना नि. नससणाम में भगवान्‌ के सब नाम एकत्र करके एक भव्य कत्पना को सूट हुई है। बह एक बड़ा अदूदत अन्य है । उससें भगवान के लिए. इस प्रकार के दो शब्द आये हूं -शिव्दातिगः शब्दसहः 1 अथान्‌- बह दाध्द के उस पार होता है, परम्तु दाब्द को सहन करता है । जिन्होंने सूक्म विचार किया; उनका यह अनुभव है कि वाणी में से मालूम क्या-क्या प्रकट हता है ! कमी-कभी विपरीत भी प्रकट होता है बाणी में सम्यद यनर होना कठिन दै । इसलिए उत्तम-से-उत्तम साहित्यिकों की वाणी जो प्रकट हुई है, बह भगवान्‌ ने सदन कर ली है । उससे कोई बात प्रकट नहीं हुई । फिर भी कुछ प्रकट हुआ | अन्तःप्रेरणा ८ पदास ने अज-विलाप का जो वर्णन किया, उसे सुनकर छुदय गदद हो जाता हैं, लेकिन किसी माँ का लड़का मर जाता है, तो मैं ऐसी रॉती है कि दूसरों को रुलाती है। आखिर कालिदास ने कया किया ! इतना ही किया न कि दाब्दों द्वारा शोक प्रकट किया ? लेकिन अगर उस रखने के लिए. कहा जाय, तो भी उससे लिखा नहीं जायगा । वह मां यदि कवि है, उसके हाथ में हमने कलम रख दी और उससे कहा




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