बिन्दो का लल्ला | bindo ka lalla
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
138
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उवन्दोका ला ९,
नरेन्द्र चौककर खुप दो गया । ड
अनपूर्णा जरा-सा सुनकर ही सुग्ध हो गई यी । बोली, “ सुन लेंगे तो छुन
लेने दे । यद्द तो ठाकुरजीकी कथा है, अच्छी ही वात है छोटी बहू। ”
विन्दोने नाखुश होकर कहा, “ तो तुम्हीं सुनो ठाकुरजीकी कथा, मैं
जाती हूं ।
नरेन्द्रने कहा, “ तो रहने दो, मैं सावित्रीका पार्ट करता हूँ । ”
चिन्दोने कहा, “ नहीं । ” ः
इस कण्ठ-स्वरको सुनकर अब जाकर अन्नपूर्णाको होश हुआ कि बात बहुत
दुर तक पहुँच गई है, और यहीं उसका अंत नहीं होगा । एलोकेशी नई आएं
है, वद्द मीतरकी बात न समझ सकी । घोली, “” अच्छा, अभी रहने दे ।
'मरदोंके चले जानेपर फिर किसी दिन दोपदरको हो सकेगा ।””
*' और गाना-वजाना भी क्या कम सीखा है १ दमयन्तीने जो रोते हुए गाना
गाया था, उसे एक वार गाकर सुनाना तो कभी बेटा, उसे सुनकर तेरी मेड
पफिर छोड़ेगी थोड़े ही तुझे 1”?
नरेन्द्रने कददा, “ अभी गार्ऊे १?
मारे गुस्तेके विंदोकें चदनमें आग-सी लग रही थी, वह कुछ वोली नहीं ।
अनपूर्णा झटपट कद्द उठी, “ नहीं नहीं; गाना वाना अभी रहने दो | ”
नरेन्ने कहा, “ अच्छा, वह गाना मैं अमूल्यको सिखा दूँगा । मैं बलाना
भी जानता हूँ । बेटेक ताक, चजाना बड़ा मुश्किल है मॉई ( - अच्छा, उस
वीतलके वर्तनको उठा देना जरा, दिखा दूँ । ””
त्रिन्दो लूछाको उठनेका इगारा करके बोली,“ ला छटला, घरमें जाकर पढ़ तो । *
ल्ल््ला मुग्ध होकर सुन रहा था , उसकी उठनेकी तबियत न थी । चुपके-से
चोला, “ और थोड़ी देर वैठो न छोटी मा 1 ”
विन्दो मुँदसे कोई वात न कहकर उसे उठाकर अपने साथ कमरेमें ले गई।
अन्नपूणी समझ गई कि सहसा वह क्यों ऐसी हो गई, और यह भी स्पष्ट समझ
गई कि इस इडरसे कि कही संगतके दोपसे लल्ला वियब न लाय, नरेन्द्रका यही
रहकर पढना-लिखना मी पसंद न करेगी । इससे वह उद्दिम दो उठी, बोली
* बेटा नरेन, तुम अपनी छोटी मेंडिके सामने ये ऐक्टिंग-फेक्टिंग सब्र मत
करना | हक ठददरीं इन सब बातोकों पसन्द नहीं करतीं । ””
एलोकेचीने आश्वयंके साथ पूछा, “* छोटी वहूको ये सच बातें अच्छी नहीं
ग्छती कया ? इर्सीसे इस तरह उठके चली गई है, एं. ! “ सर मे
User Reviews
No Reviews | Add Yours...