व्यावहारिक सभ्यता | Vyavaharik Sabhyata
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
182
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)व्यावहारिक सभ्यता
“मेरी घारणा है कि भारत ने जिस सभ्यता को जन्म दिया था,
वेडच की कोई सभ्यता उसकी बराबरी की नहीं है । हमारे पूर्व पुरुप
जो बीज वो गये हैं, उसकी समता चरनेवाली इस संसार में एक भी
वस्तु नहीं है। रोम के धरे उड़ गये, यूनान का नाम शेप रह गया,
फ़िरीन का साम्राज्य रसातल को चला गया, जापान पश्चिम के चंगुल
्
थम,
में पेंस गया श्र चीन की तो चात डुछ कहते हो नहीं दनती । परन्तु
८
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भारत की, पत्ते सहड़ जाने पर भी, जड़ मज़दूत है ।*
-मटदात्मा गांधी
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