श्री भगवती सूत्र पर व्याख्यान प्रथम भाग | Shree Bhagwati Sutra Par Vyakhyan Pratham Bhaag

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Shree Bhagwati Sutra Par Vyakhyan Pratham Bhaag by श्री साधुमार्गी जैन - Shree Sadhumargi Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शीमगवती सूत्र [ ११४४) राजा ने ओश़र्य के साथ पूंछा-ऐंसा पुत्र श्र मैंगंतों की फीज में मिलेंगा ? सिद्ध--दां, 'बवश्य । शजा--तो दम उसे कैसे पंदचाने सकेंगे । सिद्ध ने कद्दा-पहले मैंगतों को खूंव ढकड़े 'बैंटंबाओ, फिर उन सबंकों बांड़े में चैंद करके, उनमें से एक-एक को चादर सिंकाली । जिस मैंगेते को बाहर निकालो, उससे कदते जांना कि अपने पास के टुकड़े फक दे तों तुंफे राज्य देंगे । जो मैंगता सुम्ददारी बांत पर विश्वास करके सब ड्कड़े फेंक दे, उसे तो. राजा बना देना, और जो थोड़े फेंक दे तथा थोड़े रख ले उसे प्रधान बना देना । सिंद् के पासं से राजा और प्रधान लौट 'आायें । राजा ने ब्मोज्ञा दी-छाज सब लोग मैंगतें की खुब टुकड़े यॉंटें । राजा की आंज्ञा से ठोगों ने खूब टुकड़े वांटे । मैंगतों के पास वहुंत- बहुतसे ुकड़ें हो गये । इसके पश्चात्‌ राजा नें उन सब की एक बाड़े में चर दिया और फिर उनमें से एक-एक को निंकाले कर कहने लेंगा-अगर तुम अपने सब . टुकड़े फैंक दो' तो छुम्हें संध्य दू । मैंगते सोचति-भंलां कदी कड़े फकंने से राज्य सिछेता है ? दमारे भाग्य में राज्य बंदा होता हों .पराये टुकड़ों पर गुजर क्यों करना पड़ता ? इस प्रकार सोचंकर बह कहते-बाज बड़े भाग्य




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