श्री भगवती सूत्र पर व्याख्यान प्रथम भाग | Shree Bhagwati Sutra Par Vyakhyan Pratham Bhaag
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
286
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शीमगवती सूत्र [ ११४४)
राजा ने ओश़र्य के साथ पूंछा-ऐंसा पुत्र श्र मैंगंतों की फीज
में मिलेंगा ?
सिद्ध--दां, 'बवश्य ।
शजा--तो दम उसे कैसे पंदचाने सकेंगे ।
सिद्ध ने कद्दा-पहले मैंगतों को खूंव ढकड़े 'बैंटंबाओ, फिर
उन सबंकों बांड़े में चैंद करके, उनमें से एक-एक को चादर
सिंकाली । जिस मैंगेते को बाहर निकालो, उससे कदते जांना कि
अपने पास के टुकड़े फक दे तों तुंफे राज्य देंगे । जो मैंगता
सुम्ददारी बांत पर विश्वास करके सब ड्कड़े फेंक दे, उसे तो. राजा
बना देना, और जो थोड़े फेंक दे तथा थोड़े रख ले उसे प्रधान
बना देना ।
सिंद् के पासं से राजा और प्रधान लौट 'आायें । राजा ने
ब्मोज्ञा दी-छाज सब लोग मैंगतें की खुब टुकड़े यॉंटें । राजा
की आंज्ञा से ठोगों ने खूब टुकड़े वांटे । मैंगतों के पास वहुंत-
बहुतसे ुकड़ें हो गये । इसके पश्चात् राजा नें उन सब की एक
बाड़े में चर दिया और फिर उनमें से एक-एक को निंकाले
कर कहने लेंगा-अगर तुम अपने सब . टुकड़े फैंक दो' तो छुम्हें
संध्य दू ।
मैंगते सोचति-भंलां कदी कड़े फकंने से राज्य सिछेता है ?
दमारे भाग्य में राज्य बंदा होता हों .पराये टुकड़ों पर गुजर क्यों
करना पड़ता ? इस प्रकार सोचंकर बह कहते-बाज बड़े भाग्य
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