मीरा कोष | Meera Kosh

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Meera Kosh by डॉ. शशिप्रभा

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about शशिप्रभा शास्त्री - Shashiprabha Shastri

Add Infomation AboutShashiprabha Shastri

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
इकतारी ३ चार तप मानना इकसारी--एक तार याला । एक वाजा | इण-- सं०्एप बहुचचन इन । उदा० जो सिवार की तरह होता है । एक उदा४ चाज्यों काँस मूदंग मुरलिया एकनसाज्या कर दकेतारी । ७४ | उदाण म्हारा बिछड़या फेर न मिलया मेयर रत एक सननेस । ईद ८७४ पह ११६ ११७५ ११८१९१५४ ६४ १६ शद४ र६८ १८६ 1. एकरयु एक रस होकर 1. उदा० यूगाराजीगी एकरस ंखि बलि शक । 1 एकल एक ही । उदा० पक थारों रोपिया र इक आँखों झक लूले । श ६ एक -पुक भी । उद्ा० में सिगुर्षी गुस्प रकौ साहीं तुम हो बरसण हीरा । शर र3हे ये इ चरण क्ालियाँ नाध्याँ गोपलीला- करण । है । रै १ ९ १६ | डेस-दे० इसा । उदा० छप्पन भोग बुहाई देहे इन भोगनि में दाग । २६ । १६९ । इसत-- सं० इत अथवा प्रा इधो इधर 1 उदाण इन घण गरजाँं उत घण लग मय बिज्जु डरायां । १४२ | इसरत--दे० के अमरित 1 इसरित-- दे अिमरित | इुख़ित -दे० शिमरिति 1 इसड़ा नस एप न डा इस प्रकार । उदाण थे तो राग जी स्हाने इस लागों ज्यों मच्छन में कर 1 ३४ 1 ख जनक उकला-- सं० उत्बलिका उ्कंटा से पुकारना । खकलाशों-- उदा चामग स्वाति बू दे मन माँह्ी पीव पीव छकलाशार हो । ७३ । उकलावें --दसे आकुल ब्याछुल है। दा आवश कह गये अजहं न आये जियो अति उकलाबे । ६७ उकलास--दें८ उकलाँ | उक्तलाबे-- दे० उकलोा । भषाड सन उदघाटन उधाडों सोलों उदा० थ तो पलक उधाड़ों दौनानाधथ है। १५ | उघारी-यिना कपड़ों थे । सदा में गयों सारी अनारी स्टोरी जल में कभी उधारों है माय १६९६ 1 उचाद- सं० उच्चाट उदास | उदा ये आया बिग सुख णा.. म्हारो डिंयणों घरों उचाद | ६६ | उचार- सं० उच्चरित ये । उचारे--उच्चरिम करते हूँ । प्रदान ग्दानन चाल सब करत कुताहुस नम जय सबद उचार रे ६




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now