विचार - पोथी | Vichar - Pothi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
112
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विचारपोथी १३
८
भगवान् ने' हमारी श्रांखोंका रंग भी भ्राकाश के समान
नीला बनाया है। नीलकान्तका दान ही उसका उद्देश्य रहा होगा।
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कमल याने अ्रलिप्त पवित्रता ।
प७
भक्त नगम्र होता है। उसको भगवानक चरखाका दर्शन
पर्याप्त जान पड़ता है ।
भर
दिनभर काम करनेवालेके लिए रातकी नींद जितनी
आआवदयक श्रौर शभ्रानन्दकारक है उतनी ही जीवनभर मेहनत
करनेवालेके लिए श्रन्तिम महानिद्रा आवश्यक श्रौर ऑ्रानन्द-
कारक है । मृत्यु भगवानका सौम्यतम रूप है ।
२
संस्कृत में 'हनू' याने मारना श्रौर 'हन्' याने गुणना है।
हिंसासे पापका गुृणाकार होता है ।
के
देवाठीं पावुनि जन्म झोंगठीं ।
त्रासला चिठसला जीव श्रंतरीं ॥।
राहिलों निराठा म्हरुनी तेथुनी ।
सवित्याचें मंगल किरण सेवुनो ॥।
मी श्रलिप्ततेचें गाणें गा तसें ।
गा गा रे सखया तूं ही गातसें ॥
पड
घेऊनी वामनरूप भूग तो।
येतसे लुटाया मजला धांवुनी ॥।
परि ह्ृदयाचें बलिदान देउनी।
जिंकिला कोंडिला केला गुंग' तो '॥
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