गांधी जी श्रद्धान्जलियाँ भाग - 1 | Gandhi Ji Shraddhanjaliyan Bhag - 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
176
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राहमें जहां-जहां गाड़ी खड़ी हुई अपार जनसमूह 'अस्थिके द्शनके
लिए एकत्र हुआ । गाजियाबाद, अढीगढ़, टू डठा, कानपुर आदि स्टेशनोपर
छाखोंकी भीड़ एकत्र हुई । प्रयागमें दूर दूरसे छोग पहुंच गये थे । स्टेशनसे लेकर
संगमतक किनारे किनारे ढछोग पुष्प लिये अस्थिके अंतिम प्रणामके छिए खड़े थे ।
संगम तथा स्टेशनपर बहुत अधिक जनता थी । कुंभ मेलाके कारण भीड़ और
बढ़ गयी थी । तीन सदस्तर पुछिस, सेनिक, नाबिक तथा चायुयान 'वाठकों के
हाथोंमें प्रबंध था। पंडित जवादरलाल नेहरू, सरदार पटेढ तथा मौलाना
अबुरू कलाम आजाद संध्याको ही था गये थे तथा सारे अ्रबंध ओर व्यवस्थाका
निरीक्षण प्रधान मंत्री तथा उप-प्रधान मंत्रीने किया ।
दिल्लीसे जब स्पेशछ 'चढी और जबतंक बह्द प्रयाग पहुंची तबतक बरा-
बर जागरण होता रहा, छोग चरखा चलाते रहे तथा “रामघुन' गाते रहे।
इलादाबादसे गाड़ी जब सत्तर मीलकी दूरीपर थी, वहीं खड़ी कर दी गयी और
नौ बजे प्रातःकाछ इछाहाबाद पहुंची । सारे कार्यक्रमकी न्यवस्था ऐसी की गयी थी
कि सब कार्य ठीक समयपर संपादित हुआ । जब गाड़ी खड़ी हुई तब पंडित नेहरू
तथा सरदार पटेल अस्थिघटकों गाड़ीमेंसे घाइर छाये. तथा सुसल्जित
रथपर रखे ।
अस्थि हो जानेके छिए विशाल रथका निर्माण किया गया था । उसपर
ऊंचा मंच बनाकर अस्थिका घट रखा गया था । मंच तिरंगे मकण्डे तथा पुष्पोंसे
सुसखित था । उसपर सुन्दर सददराव बना था । राइमर पुष्पोंकी वर्षा हो रददी थी ।
रथपर पंडित जवादरछाल नेहरू, पंडित गोधिन्द बल्लभ पंत, सरदार पढेख,
मौछाना आजाद, रफी 'अहमद किद्वई थे। इतना जनसमूह होनेपर भी कहीं
किसी प्रकारकी दुष्यवस्था और गड़बड़ी नहीं हुई । छोगोंमें गंभीरता झधिक थी
राहभर रेडियोसे जिस प्रकार दिल्लीसे शबवयात्राके अवसरपर घटनाओोंका विस्षेप
होता रहा, यहां भी हो रद था ।
जुलूसके झागे भागे एक मोटरकार व रददी थी जिसमें छालडस्पीकर
द्वारा प्राथ॑नाकि गीत गाये ज्ञा रहे थे । इसके पश्चात् बहुत सी जीप गाड़ियां थी
और उनके पीछे अश्वारोही सेना, फिर गोरखा तथा अन्य सेनाषोंकि सैनिक थे।
देवदास गांधी संगे पांव झागे आगे चल रदे थे । सैदानसें पहुंचनेके पश्च।त् 'स्थि-
झं
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