ईश्वर | Ishwar
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
687 KB
कुल पष्ठ :
38
श्रेणी :
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No Information available about श्री पं. मदनमोहनजी मालवीय - Pt. Madan Mohan Ji Malviya
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उदाहरण हैं । युधिष्टिरने पितामह भीष्मसे पूछा कि “बताइये,
लोकमें वह कौन एक देवता है ? कौन सब प्राणियोंका सबसे
चड़ा एक रारण है ? कौन बह है जिसकी स्तुति करते, जिसको
पूजते मनुष्यका कल्याण होता है. ?
इसके उत्तरमें पितामहननें कहा--
जगत्पमु देवदेवमनन्ते पुरुषेत्ममु ।
स्तुवनामतहस्रेण. पुरुषः सतततोत्थितः ॥
अनादिनिधन विष्ण॑ सर्वलोकमहेधरम ।
लोकाध्यक्ष॑ स्तुवानित्यं सबंहुग्खातिगों भकेतू ॥
परम यो महतेजः परमें यो महुशषप४ |
परम यो महदूनह्ा परम यः परायणम् |!
पवित्राणों पकित्र थो संगलानां च गजल ।
देवतं देवतानां च सूतानां योउव्ययः पिता /।
अर्थात्, “मनुष्य प्रतिदिन उठकर सारे जगतके खामी,.
देवताओंके देवता, अनन्त पुरुपीत्तमकी सहस्र नामोंसे स्तुति करे ;
सारे छोकके मद्देश्वर, ठोकके अध्यक्ष ( अर्थात् शासन करनेवाले ),
से ोकमें व्यापक बिप्णुकी, जो न कभी जन्मे हैं, न जिनका
कभी मरण होगा, नित्य स्तुति करता हुआ मनुष्य सब दुःखोंसे
मुक्त हो जाता है | जो सबसे बड़ा तेज है, जो सबसे बड़ा
तप है, सबसे वड़े.ब्रह्म हैं और जो सब प्राणियोंके सबसे बड़े
शरण हैं | जो पवित्रोंगें सबसे पवित्र, सब मंगछ वातोंके मंगछ,,
देवताओंके देवता और सब प्राणीमात्रके अविनाशी पिता हैं ।'
[. शक
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