दो | Do
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
168
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पूजा खत्म करने से पहले वह घंटी वजा-बजाकर जोर-जोर से
शरारती गाने लगा । उसकी श्रावाज झारती गाने के साथ-साथ उयादा
युलन्द होती गई । वह किसी श्रौर शोर को जीतने की कोशिश करता
हुमा-सा मालूम पड़ने लगा । नीमा उठकर अन्दर चली गई । श्रारती
उसका पहला श्रादमी भी काफी गा-गाकर श्रौर ज़ोर-जोर से करता था ।
बह उसका पेशा था । कई चार ऐसा भी होता था कि ब्रारती के ठीक वाद
ही वह उसे परेशान करने लगता था । वहाँ भी नीमा ने एक तुलसी का
विरवा लगा रखा था । पूजा करने के वाद जब उसका पहला शभ्रादमी
उस विरवे से तुलसीदल लेता था तो लगता था वह काँप रहा है ।
तुलसीदल पीले पड़-पडकर कर रहे है । यह वैसा नही है । झ्राज ही
जोर-जोर से वोलकर भारती कर रहा है । पूजा के बाद यह झ्ौर उयादा
चुप हो जाता है । इसने कभी तंग नहीं किया । उम्र भी ज्यादा है ।
श्रपनी बात उतनी जोर से नही कह पाता ।
रात वाली थाली एक दूसरी थाली से ढकी रसोई के बीचो-बीच
उसी तरह रखी थी । नीमा खड़ी उसे देखती रही । एक तरफ सरका
दे या इसी तरह रखी रहने दे ? उसने थाली को उसी तरह रहने दिया ।
त्रही खडी-खड़ी दोबारा दाल बीनने लगी ।
वह बाहर जानें वाला कुर्ता पहनता हुम्ना श्रन्दर से आ्राया । नीमा
ने कनखी भाँखों से उमे श्राते हुए देखा । वह जूते पहन चुका था ।
रसोई के बाहर से ही पूछा, “जलेवी ले झाऊँ ?'
उसके मुंह में तम्बाकू था। वह चुप रही । उसने जवाब का
इन्तज़ार किया । जवाब नहीं मिला तो उसने फिर कहा, 'थैला उठा दो ।
श्राधा सेर ले झाता हूँ । रात तुम भूखी सो गई थी ।'
नीमा नें मुंह की पीक को रोककर वलवल करते हुए कहा, 'मेरा
तो वरत है ।
*किस वात का वरत ? क्या श्राज भी तुम रात की तरह भूखी
रहोगी ? भूखा रहना या भूखा रखना दौनो ही बुरी चात है । सब
कुछ होते हुए भी भूखी रहो तो होने का क्या लाभ !
चह उसी तरह दाल वीनती हुई वोली, “बहुत दिन से संतोपी माता
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