पार्श्व जीनेश्वर महाकाव्य | Parshv Jineshwar Maha Kavya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
192
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कोई उसके साथ नही हे-
लक्ष्य न जाने दूर कही है,
गहन भ्रॉति मे भटक रहा है-
धारा में अविराम बहा है,
सत्य किन्तु है दृग से ओझल-
तत्व हृदय का मिला न निर्मल,
घोर तिमिरमय पथ है आगे-
कैसे जडता बन्धन त्यागे,
समझ न कुछ भी आ पाता है-
केवल चलता ही जाता है,
अपनेपन का भाव भुलाकर
बैठा लौलुप रथ पर आकर,
स्वार्थ-सिद्धि मे लगा हुआ है-
जन्म-मरण-भय नही छुआ है,
अपने को सर्वज्ञ मानता-
किन्तु सत्य क्या ? नही जानता,
घर-घर हिसा-देष-कलह है-
पीडित जन-जन सभी तरह दे
एक-एक पर जोर दिखाता-
अपनो का ही रक्त बहाता,
लाल-लाल लोहू की धारा-
का है फूटा नया फबारा,
कोई इसको समझ न पाता-
किसका रक्त ? नहीं बतलाता,
पाश्वं जिनेश्वर 9
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